शास्त्रों में महालक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस व्रत की शुरुआत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानी राधा अष्टमी के दिन से होती है। यह व्रत 16 दिनों तक चलता है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए महिलाएं 16 दिन तक व्रत रखकर विधि-विधान से धन की देवी की आराधना करती हैं। मान्यता है इस व्रत को रखने से धन की देवी प्रसन्न होती है और धन- समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

महालक्ष्मी व्रत की तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल महालक्ष्मी व्रत का आरंभ 3 सितंबर से होगा और व्रत का समापन 17 सितंबर होगा। ये व्रत सोलह दिन तक रखे जाते हैं। ये भाद्रपद शुक्ल की अष्टमी तिथि से शुरू होते हैं और अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन इनका समापन होता है।

महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल की अष्टमी तिथि की शुरुआत 3 सितंबर 2022 को दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर होगी। साथ ही वहीं भादो शुक्ल की अष्टमी तिथि 4 सितंबर को सुबह 10 बजकर 38 पर खत्म हो जाएगी। वहीं उदयातिथि को आधार मानकर व्रत 4 सितंबर को रखा जाएगा।

जानिए महत्व

भविष्य पुराण के अनुसार महालक्ष्मी व्रत का महात्म स्वंय भगवान श्री कृष्ण ने बताया है, जब पांडव चौपड़ के खेल में कौरवों से धन, संपदा सब कुछ हार गए थे। तब धर्मराज युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से धन प्राप्ति का उपाय पूछा। तो भगवान कृष्ण ने उन्हें महालक्ष्मी व्रत करने की सलाह दी। मान्यता है जो भी व्यक्ति इस व्रत को रखता है उस धन की देव मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। साथ ही धन आगमन के मार्ग खुलते हैं। 

महालक्ष्मी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ॐ॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ॐ॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ॐ॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ॐ॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ॐ॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ॐ॥

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ॐ॥

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ॐ॥