Guru Purnima 2025: शास्त्र में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाये जाने का विधान है। इस तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इस दिन गुरु पूजन करने का खास महत्व है। साथ ही शुभ अवसर पर पवित्र नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन को वेद व्यास जी की जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा पाठ और व्रत करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है। आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा की तिथि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व…

गुरु पूर्णिमा तिथि 2025

ज्योतिष पंचांग के मुताबिक आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 10 जुलाई को रात 01 बजकर 37 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 11 जुलाई रात को 02 बजकर 07 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। इस प्रकार से 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा।

गुरु पूर्णिमा का महत्व (Guru Purnima 2025 Significance)

धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि पर भगवान वेद व्यास का जन्म हुआ था। इसलिए इस तिथि पर गुरु पूर्णिमा के पर्व को मनाया जाता है। वेद व्यास ने कई वेदों और पुराणों की रचना की थी। इस खास अवसर पर भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और वेद व्यास जी की पूजा-अर्चना करने का खास महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गुरु पूर्णिमा का विधिपूर्वक व्रत करने से जीवन खुशहाल होता है। साथ ही साधक पर प्रभु की कृपा बनी रहती है।

पंचांग

सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 31 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 22 मिनट पर

चंद्रोदय- रात 07 बजकर 20 मिनट पर

चंद्रास्त- चंद्रास्त नहीं

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 10 मिनट से 04 बजकर 50 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – रात 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 41 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक

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