Kaal Sarp Dosh in kundli: ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को बेहद अशुभ माना गया है। कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में यह दोष बन जाए तो उसके जीवन में बार-बार बाधाएं आती हैं। इसके साथ ही, उसके जीवन में आर्थिक तंगी, मानसिक तनाव और पारिवारिक झगड़े जैसी समस्याएं बनी रहती हैं। ऐसे में समय रहते कालसर्प दोष की पूजा पूरे विधि विधान के साथ करना बेहद जरूरी है। तो चलिए जानते हैं कालसर्प दोष क्या होता है, इसके लक्षण क्या हैं, इससे बचने के उपाय और पूजा विधि।
क्या होता है कालसर्प दोष?
ज्योतिष के अनुसार जब व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच फंस जाते हैं, तब इसे कालसर्प दोष कहा जाता है। राहु और केतु छाया ग्रह होते हैं और जब इनके बीच अन्य ग्रह आ जाते हैं तो यह योग बनता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में बार-बार अड़चनें आती हैं।
कालसर्प दोष के लक्षण
- सपनों में बार-बार मृत लोगों को देखना या सपने में सांपों का दिखना।
- सपने में यह महसूस होना कि कोई आपका गला दबा रहा है।
- लगातार मानसिक तनाव और अकेलापन महसूस करना।
- कारोबार में बार-बार हानि होना और नौकरी में संघर्ष का सामना करना
- नींद में बार-बार जागना या सपनों में झगड़े होते रहना।
- वैवाहिक जीवन में तनाव और जीवनसाथी से विवाद होना।
- सिर दर्द, त्वचा रोग, मन में बेचैनी रहना।
- नींद में शरीर पर सांप को रेंगते देखना, सांप को खुद को डसते देखना।
कालसर्प दोष के आसान उपाय
- काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति रोजाना शिवलिंग पर जल या दूध से अभिषेक करें।
- प्रदोष तिथि पर शिव मंदिर में जाकर रुद्राभिषेक कराएं।
- कुलदेवता की रोजाना पूजा करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जप करें।
- हनुमान चालीसा का रोजाना 11 बार पाठ करें।
- अपने घर में मोरपंख रखें, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है।
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कालसर्प दोष पूजा के लाभ
- कालसर्प दोष की शांति के लिए विशेष पूजा करने से जीवन में कई फायदे मिलते हैं।
- वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
- सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
- घर-परिवार में सुख-शांति का माहौल बना रहता है।
- व्यापार में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं।
- नौकरी करने वालों को पदोन्नति और सम्मान मिलता है।
- आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और कर्ज जैसी समस्याएं भी खत्म होती हैं।
कालसर्प दोष पूजा विधि
- पूजा वाले दिन व्रत रखें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- शिवलिंग का जल या दूध से रुद्राभिषेक करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- नाग देवता की मूर्ति पर दूध अर्पित करें।
- नाग गायत्री मंत्र का जाप करें – “ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात”।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप भी करें।
- विशेष रूप से नाग पंचमी के दिन भगवान शिव और विष्णु की पूजा करने से कालसर्प दोष के प्रभाव कम हो जाते हैं।
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