Kaal Bhairav Ashtami: जिनसे काल भी डरता है ऐसा है भगवान शिव का काल भैरव स्वरूप। काल यानी मृत्यु, डर और अंत। भैरव भय पर विजय हासिल करने वाला। आज काल भैरव जयंती है। भगवान शिव के इस रूप की उपासना से मृत्यु का भय नहीं रहता और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। भगवान काल भैरव का जन्म मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। मान्यता है कि इनकी पूजा से रोगों से भी निजात मिल जाता है। जानिए काल भैरव जयंती का महत्व, मुहूर्त, पूजा विधि और कथा…

काल भैरव जयंती पूजा मुहूर्त (Kaal Bhairav Jayanti Puja Muhurat) :

19 नवंबर को मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि दोपहर 03 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी और इसकी समाप्ति 20 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 41 मिनट पर होगी। काल भैरव की पूजा रात्रि को शुभ मुहूर्त में की जाती है।

काल भैरव जयंती की पूजा विधि (Kaal Bhairav jayanti Puja Vidhi) :

भगवान काल भैरव की पूजा काले कपड़े पहनकर करनी चाहिए। आसन भी काले कपड़े का होना चाहिए। पूजा में अक्षत, चंदन, काले तिल, काली उड़द, काले कपड़े, धतुरे के फूल का प्रयोग करना चाहिए। इन्हें नीले फूलों की माना भी अर्पित कर सकते हैं। माना जाता है कि इस दिन काल भैरव को शराब का भोग लगाने से वह प्रसन्न हो जाते हैं। व्रत रखने वालों को काल भैरव जयंती पर काले कुत्ते को अपने हाथों से बना हुआ भोजन कराना चाहिए। क्योंकि काला कुत्ता भैरव का वाहन माना जाता है।

काल भैरव की कथा (Kaal Bhairav Ki Katha) :

एक बार की बात है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश इन तीनों में श्रेष्ठता की लड़ाई चली। इस बात पर बहस बढ़ गई तो सभी देवताओं को बुलाकर बैठक की गई। सबसे यही पूछा गया कि श्रेष्ठ कौन है। सभी ने अपने अपने विचार व्यक्त किए और उतर खोजा लेकिन उस बात का समर्थन शिवजी और विष्णु ने तो किया परन्तु ब्रह्माजी ने शिवजी को अपशब्द कह दिए। इस बात पर शिवजी को क्रोध आ गया और शिवजी ने अपना अपमान समझा।

शिवजी ने उस क्रोध में अपने रूप से भैरव को जन्म दिया। इस भैरव अवतार का वाहन काला कुत्ता है। इनके एक हाथ में छड़ी है इस अवतार को महाकालेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए ही इन्हें दंडाधिपति कहा गया है। शिवजी के इस रूप को देख कर सभी देवता घबरा गए। भैरव ने क्रोध में ब्रह्मा जी के पांच मुखों में से एक मुख को काट दिया। तब से ब्रह्मा के पास चार मुख है। इस प्रकार ब्रह्माजी के सर को काटने के कारण भैरव जी पर ब्रह्महत्या का पाप आ गया। ब्रह्माजी ने भैरव बाबा से माफ़ी मांगी तब जाकर शिवजी अपने असली रूप में आए।

भैरव बाबा को उनके पापों के कारण दंड मिला इसीलिए भैरव को कई दिनों तक भिखारी की तरह रहना पड़ा। इस प्रकार कई वर्षो बाद वाराणसी में इनका दंड समाप्त होता हैं। इसका एक नाम दंडपाणी पड़ा था। इस प्रकार भैरव जयंती को पाप का दंड मिलने वाला दिवस भी माना जाता है।

काल भैरव मंत्र (Kaal Bhairav Mantra) :

अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!

अन्य मंत्र –
ॐ कालभैरवाय नम:।
ॐ भयहरणं च भैरव:।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।

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10:57 (IST)19 Nov 2019
शुभ मुहूर्त (19 November Shubh Muhurat, Today Muhurat) :

सर्वार्थ सिद्धि योग - 06:47 AM से 09:23 PM, अभिजित मुहूर्त - 11:46 AM से 12:28 PM, अमृतकाल - 07:51 PM से 09:23 PM, विजय मुहूर्त -
01:54 PM से 02:36 PM, गोधूलि मुहूर्त - 05:17PM से 05:41 PM, सायाह्न सन्ध्या - 05:27 PMसे 06:47 PM, निशिता मुहूर्त - 11:41 PM से 12:34 AM, नवम्बर 20, ब्रह्म मुहूर्त - 05:01 AM, नवम्बर 20 से 05:54 AM, नवम्बर 20 तक, प्रातः सन्ध्या - 05:28 AM, नवम्बर 20 से 06:48 AM,नवम्बर 20 तक

10:40 (IST)19 Nov 2019
काशी में भैरव बाबा का प्रसिद्ध मंदिर:

उत्तर प्रदेश के बनारस यानी काशी नगरी में स्थित काल भैरव का मंदिर काफी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि काशी नगरी की रक्षा खुद भगवान भैरवनाथ करते हैं। तभी तो इन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग से डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी पर ये मंदिर स्थित है।

09:51 (IST)19 Nov 2019
काल भैरव की आरती (Kaal Bhairav Aarti) :

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।

तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।

वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।

तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।

तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।

पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।

बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।

09:33 (IST)19 Nov 2019
Kaal Bhairav Jayanti 2019, 19 November Panchang:

आज काल भैरव जयंती है। आज के दिन भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी। ये शिव का रौद्र रूप है। कई जगह भैरव बाबा को शराब भी चढ़ाई जाती है जो इनकी प्रिय वस्तु मानी गई है। काल भैरव की उपासना करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले जातक रात के समय पूजा करते हैं। जानिए आज के शुभ अशुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

09:18 (IST)19 Nov 2019
उज्जैन का काल भैरव मंदिर (Ujjain Kaal Bhairav Mandir) :

काल भैरव का ये मंदिर शिप्रा नदी के किनारे भैरवगढ़ में स्थित है। चांदी की प्लेट में काल भैरव की प्रतिमा को मदिरा का भोग लगाया जाता है। प्लेट में शराब भरकर प्रतिमा के मुख पर लगाई जाती है। इसके बाद देखते ही देखते बर्तन से शराब खत्म हो जाती है। ये शराब कहां जाती है, आज भी ये रहस्य बना हुआ है।