Jyeshtha Pradosh Vrat: शास्त्रों के अनुसार हर महीने भगवान शिव की पूजा के लिए प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि आती हैं। वहीं आपको बता दें कि ज्येष्ठ मास का प्रदोष व्रत इस बार बेहद खास संयोग में पड़ रहा है। क्योंकि 4 जून को मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत दोनों एक साथ मंगलवार को हैं। यह संयोग कई सालों बाद बन रहा है। वहीं इस दिन शोभन योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहे हैं। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। साथ ही इस दिन मंगलवार है तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इसलिए इस दिन भगवान शिव के साथ रुद्र अवतार बजरंगबली की पूजा भी की जाएगी आइए जानते हैं तिथि और शुभ मुहूर्त…
प्रदोष व्रत कब से कब तक
वैदिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 4 जून को दोपहर 12 बजकर 19 मिनट से शुरू होकर रात को 10 बजकर 1 मिनट तक है। वहीं शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत की पूजा संध्या काल में की जाती है। इसलिए प्रदोष व्रत 4 जून को रखा जाएगा। वहीं प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त शाम को 7 से बजे से लेकर रात्रि 8 बजे तक रहेगा।
मासिक शिवरात्रि व्रत कब से कब तक
पंचांग के मुताबिक मासिक शिवरात्रि यानी की ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 4 जून को रात 10 बजकर 2 से होगी और 5 जून को रात 7 बजकर 55 मिनट पर इसका अंत होगा। वहीं शिवरात्रि व्रत का मुहूर्त निशिथ काल का होता है, इसलिए मासिक शिवरात्रि का व्रत भी 4 जून को ही रखा जाएगा।
भौम प्रदोष व्रत का महत्व
भौम प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति को धन- संपत्ति की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन मंगलवार होने से हनुमान जी की आराधना का भी विशेष महत्व है। साथ ही अगर आप मांगलिक हैं और शादी होने में समस्याओं की सामना करना पड़ रहा है। तो आप भौम प्रदोष व्रत रख सकते हैं। साथ ही मंगलवार के दिन प्रदोष का व्रत रखने से रोगों से मुक्ति मिलती है। वहीं भौम प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को दूध, दही, घी, गंगाजल और शहद से बने पंचामृत से स्नान करवाएं। ऐसा करने से आपको शनि, राहु और केतु तीनों ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलेगी।
