Guru Mahadasha Effect: वैदिक ज्योतिष में गुरु ग्रह को देवताओं के गुरु की उपाधि दी गई है। साथ ही गुरु ग्रह को ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक माना जाता है। वहीं गुरु ग्रह की मकर इसकी नीच राशि मानी जाती है। साथ ही मकर राशि में गुरु ग्रह उच्च के होते हैं। आपको बता दें कि ग्रह का गोचर जन्मकालीन राशि से दूसरे, पांचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में शुभ फल देते हैं। यहां हम बात करेंगे गुरु ग्रह की महादशा के बारे में, जिसका असर 16 साल तक मनुष्य के ऊपर रहता है। आइए जानते हैं गुरु की महादशा का व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव…
गुरु ग्रह की महादशा का जीवन में असर
अगर कुंडली में गुरु बृहस्पति सकारात्मक हो स्थित
गुरु बृहस्पति अगर कुंडली में सकारात्मक स्थित हों तो व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में अच्छा लाभ मिलता है। साथ ही व्यक्ति ज्ञानी होता है। वहीं गुरु के प्रभाव से व्यक्ति गूढ़ विषयों का ज्ञाता होता है। वहीं सकारात्मक गुरु के प्रभाव से व्यक्ति को विभिन्न क्षेत्रों में लाभ प्राप्त होगा। जातक शिक्षा के क्षेत्र में अव्वल रहता है। साथ ही उसके जीवन में धन की वृद्धि होती है। ज्योतिष और दार्शनिक विषयों में उसकी रूचि होती है। वहीं समाज में उसको वैभव- मान- सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। वह आशावादी और भगवान में आस्था रखने वाला होता है। साथ ही गुरु ग्रह का सकारात्मक संबंध हो तो व्यक्ति को पुत्र की प्राप्ति होती है।
अगर कुंडली में गुरु बृहस्पति अशुभ हो स्थित
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह नकारात्मक होकर स्थित हो तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं होता है। वहीं उसका मन पूजा- पाठ में नहीं लगता है। साथ ही वह नास्तिक होता है। साथ ही व्यक्ति की डिसीजन मेकिंग अच्छी नहीं होती है। वहीं गुरु ग्रह के अशुभ होने से व्यक्ति को पेट से सबंधित रोग, अपच, पेट दर्द, एसिडिटी, कमज़ोर पाचन तंत्र, कैंसर जैसी बीमारी होने का ख़तरा रहता है। वहीं गुरु ग्रह के कुंडली में निगेटिव होने से व्यक्ति का विवाह देरी से होता है।
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