जीतिया व्रत का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। यह व्रत संतान की सुख- समृद्धि और लंबी आयु के लिए रखा जाता है। इसे जीवित्पुत्रिका व्रत, जीमूतवाहन व्रत या जिउतिया व्रत भी कहते हैं। इस साल यह व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा। यह व्रत काफी कठिन माना जाता है। महिलाएं इस दिन संतान की सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूरा दिन निर्जल व्रत रखती हैं। यह व्रत तीन दिन तक रखा जाता है। आपको बता दें कि यह व्रत कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि से नवमी तिथि तक रखा जाता है। सप्तमी तिथि के दिन नहाए-खाय होता है। वहीं दूसरे दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और फिर तीसरे दिन सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही महिलाएं अन्न ग्रहण करती हैं। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि…
जीवित्पुत्रिका व्रत तिथि
जीवित्पुत्रिका रविवार, सितम्बर 18, 2022 को
अष्टमी तिथि आरंभ : सितम्बर 17, 2022 को शाम 02 बजकर 15 मिनट से
अष्टमी तिथि अंत : सितम्बर 18, 2022 को शाम 04 बजकर 33 मिनट तक
जीतिया व्रत शुभ मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11 बजकर 51 मिनट से शाम 12 बजकर 40 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02बजकर 18 मिनट से शाम 15 बजकर 07 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06 बजकर 27 मिनट से शाम 06 बजकर 51 मिनट तक
जानिए पूजा- विधि
जितिया व्रत के दिन सूर्योदय से पहले जाग जाएं और फिर साफ- सुथरे कपड़े पहन लें। इसके बाद पूजा- अर्चना कर लें और फिर भोजन कर लें। इसके बाद पूरे दिन फिर कुछ नहीं खाएं। दूसरे दिन सुबह स्नान के बाद महिलाएं पूजा-पाठ करें और फिर पूरा दिन निर्जला व्रत रहें। वहीं व्रत के तीसरे दिन महिलाएं व्रत पारण कें। साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद ही महिलाएं अन्न ग्रहण करेंं। अष्टमी को प्रदोषकाल में जीमूतवाहन की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में एक छोटा सा तालाब बनाकर पूजा की जाती है।
ये बरतनी चाहिए सावधानियां
जीवित्पुत्रिका व्रत रखने वाली महिलाओं को तीनों दिन खासकर तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। जिसमें प्याज, लहसुन और मांंस- मछली के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि इन सब चीजों का सेवन करने से हमारे मन पर प्रभाव पड़ता है। साथ ही व्रत निर्जला रखा जाता है। जिसमें पानी भी नहीं पिया जाता है। वहीं इस दिन किसी बुराई नहीं करनी चाहिए। साथ ही क्रोध से भी बचना चाहिए।