Jitiya Vrat 2025 Puja Samagri List: जितिया व्रत हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह तीन दिनों तक चलने वाला व्रत विशेष रूप से बिहार और पूर्वी भारत में प्रसिद्ध है। पहले दिन नहाय-खाय की परंपरा होती है, दूसरे दिन निर्जला उपवास किया जाता है और तीसरे दिन उपवास का पारण किया जाता है। इसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। इस बार यह व्रत 14 सितंबर को पड़ रहा है। इस दिन माता जितिया, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। जितिया व्रत के दिन पूजा के लिए विशेष पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है। मान्यता है कि इन पूजन सामग्री के बिना जितिया व्रत की पूजा पूरी नहीं मानी जाती है। आइए जानते हैं पूजन सामग्री के बारे में।
जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 14 सितंबर 2025 को सुबह 05 बजकर 04 मिनट से होगी और इसका समापन 15 सितंबर को सुबह 03 बजकर 06 मिनट पर होगा। ऐसे में इस वर्ष जितिया का व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा और इसका पारण 15 सितंबर, सोमवार को किया जाएगा।
जितिया व्रत सामग्री लिस्ट
- कुश (जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाने के लिए)
- गाय का गोबर (चील व सियारिन बनाने के लिए)
- अक्षत यानि चावल
- पेड़ा
- दूर्वा की माला
- पान और सुपारी
- लौंग और इलायची</li>
- श्रृंगार का सामान
- सिंदूर पुष्प
- गांठ का धागा
- धूप-दीप
- मिठाई
- फल
- फूल
- बांस के पत्ते
- सरसों का तेल
जितिया व्रत का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत का विशेष महत्व है। विवाहित महिलाएं यह व्रत अपने पुत्र की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। इस दिन वे निर्जला उपवास करती हैं, यानी 24 घंटे तक जल तक का सेवन नहीं करतीं। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान जीवन में प्रगति करती है और उसका जीवन दीर्घ होता है।
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