प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी जी ने अपने भजनों और कथाओं के माध्यम से केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब नाम कमाया है। बता दें, राजस्थान के एक ब्राह्मण परिवार से संबंध रखने वाली जया किशोरी का मन मात्र 6 साल की छोटी उम्र से ही कृष्ण भक्ति में लीन हो गया था। किशोरी जी ‘श्रीमद भगवत कथा’ और ‘नानी बाई रो मायरा’ जैसी कथाओं की कथावाचिका भी हैं।

जया किशोरी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। आज यह भारत की मशहूर कथावाचिका होने के साथ ही मोटिवेशन स्पीकर भी हैं। किशोरी जी सोशल मीडिया के जरिए अक्सर अपने अनुयायियों को सही जीवन जीने का संदेश देती नजर आ जाती हैं। हाल ही में एक वीडियो के जरिए उन्होंने बताया कि किन परिस्थितियों में मनुष्य को चुप रहना चाहिए।

इस वीडियो में जया किशोरी जी कहती हैं, “कभी-कभी चुप रहना, शब्दों से ज्यादा बेहतर होता है। कभी-कभी शांति, सही होने से ज्यादा बेहतर होती है। जिंदगी में कई बार ऐसा समय आता है, जब हम शांत रहकर परिस्थियों को अच्छे से संभाल सकते हैं। लेकिन हमारी आक्रामक प्रतिक्रिया सब चीजों को बिगाड़ देती है। यहां पर कुछ ऐसी परिस्तिथियां हैं, जहां आपको हमेशा चुप रहना चाहिए।”

वीडियो में जया किशोरी जी आगे बता रही हैं, “जब भी आपको गुस्सा आए, तो आपको चुप रहना चाहिए। क्योंकि, गुस्सा किसी भी समस्या को सुलझा नहीं सकता, यह कुछ बनाता नहीं है। बल्कि, यह सभी चीजों को बर्बाद कर देता है। ऐसे में जब भी आपको गुस्सा आए, तो आपको शांत रहने की कोशिश करनी चाहिए। प्रतिक्रिया देने से पहले खुद को परिस्थिति को अच्छे से समझने के लिए थोड़ा समय देना चाहिए। ”

 

जया किशोरी जी आगे कह रही हैं, “अगर आपकी बातें आपके दोस्ती को नुकसान पहुंचा सकती हैं, तो ऐसे में आपको चुप रहना चाहिए। कहा जाता है कि माफी मांगने का मतलब हमेशा यह नहीं होता कि आप गलत है और दूसरा इंसान सही है। बल्कि इसका मतलब यह होता है कि आप अपने गुस्से से ज्यादा अपनी दोस्ती को महत्व देते हैं। जब आपके पास पूरी जानकारी ना हो, तब भी आपको चुप रहना चाहिए। क्योंकि, कम ज्ञान हमेशा खतरनाक होता है।”

 

किशोरी जी आगे कहती हैं, “यदि जरूरी हो तो ज्ञान के किसी भी भाग को हरा दें। अपने विचार को बनाने के लिए स्थिति की गहराई से समझ होना सबसे ज्यादा जरूरी है। चाहे यह आर्ट में हो या साइंस, लिटरेचर या फिर रिलिजन में। तो अपनी आधी जानकारी देने से पहले और अपना मजाक बनाने से पहले चुप रहना ज्यादा बेहतर है। और केवल तभी बोले, जब आपको उन चीजों की पूरी जानकारी हो, जो आप कह रहे हैं।”