Jaya Ekadashi 2025 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार, सालभर में कुल 24 एकादशी पड़ती है और हर एक एकादशी का अपना-अपना महत्व होता है। ऐसे ही माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जानते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ व्रत रखने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से साधक को हर तरह के दुखों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही व्यक्ति को हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। जया एकादशी के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं जया एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, आरती और पारण का समय…

जया एकादशी व्रत कथा

जया एकादशी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त (Jaya Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के मुताबिक माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 07 फरवरी को रात 09 बजकर 27 मिनट पर हो रहा है, जो 08 फरवरी को रात 08 बजकर 14 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में जया एकादशी का व्रत 8 फरवरी को रखा जाएगा।
रवि योग- 7 फरवरी को सुबह 06:52 से 8 फरवरी 06:52 तक

जया एकादशी 2025 पारण का समय (Jaya Ekadashi 2025 Paran Time)

वैदिक पंचांग के अनुसार, जया एकादशी व्रत पारण का समय 09 फरवरी को सुबह 06 बजकर 51 मिनट से लेकर 09 बजकर 06 मिनट तक है।

जया एकादशी 2025 पूजा विधि (Jaya Ekadashi 2025 Puja Vidhi)

जया एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त या फिर सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। फिर पूजा आरंभ करें। विष्णु जी को फूल से जल चढ़ाएं। इसके बाद उन्हें पीला चंदन, अक्षत, फूल, माला चढ़ाने के बाद तुलसी दल के साथ भोग लगाएं। फिर घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत एकादशी व्रत कथा, विष्णु चालीसा, विष्णु, लक्ष्मी मंत्र का जाप करने के साथ विष्णु सहस्रनाम और नारायण स्तोत्र का पाठ कर लें। अंत में विधिवत विष्णु जी की आरती करने के साथ भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

जया एकादशी पर करें विष्णु जी के इन मंत्रों का जाप

1- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
2- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

  1. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
  2. ॐ विष्णवे नम:
  3. ॐ हूं विष्णवे नम:
  4. ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
  5. लक्ष्मी विनायक मंत्र –
    दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
    कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
    धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
    लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

विष्णु जी आरती (Shri Vishnu Aarti)

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

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