मदन गुप्ता सपाटू
चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू हो रही है और नवमी तिथि 21 अप्रैल को पड़ेगी। नवरात्रि व्रत का पारण दशमी तिथि 22 अप्रैल को किया जाएगा। चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मां के नौ स्वरूपों की अलग-अलग होती है। इस बार नवरात्र पर के शुभ योग बन रहे हैं। नवरात्र में चार दिन रवि योग सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, इस तरह के शुभ संयोग में नवरात्रि पर मां भगवती की आराधना करने पर विशेष फल मिलता है।
यह नवरात्र धन और धर्म की बढ़ोतरी के लिहाज से काफी खास माना जा रहा है। 13 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को वासंती नवरात्र अश्वनी नक्षत्र सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग से प्रारंभ होगा और 22 अप्रैल गुरुवार को मघा नक्षत्र और सिद्धि योग में दशमी तिथि के साथ संपन्न हो जाएगा। मां अपने भक्तों को दर्शन घोड़े पर सवार होकर देने आ रही हैं! वही मां की विदाई नर वाहन पर होगी।
2078 नवसंवत्सर: 90 साल बाद बन रहा खास संयोग
यूरोपीय सभ्यता के वर्चस्व के कारण एक जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है। ऐसे में भारत में कई लोग अंग्रेजी पंचाग के अनुसार नववर्ष एक जनवरी को ही मनाते हैं, लेकिन हमारे देश में एक बड़ा वर्ग चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नववर्ष का उत्सव मनाता है। यह दिवस हिंदू समाज के लिए अत्यंत विशिष्ट है क्योंकि इस तिथि से ही नए पंचांग प्रारंभ होते हैं और वर्ष भर के पर्व, उत्सव और अनुष्ठानों के शुभ मुहूर्त निश्चित होते हैं।
हिंदू धर्म के अनुयायी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवसंवतसर यानि नववर्ष मनाते हैं। सनातन धर्म के अनुसार इसी दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था। ऐसे में इस बार हिंदुओं का नववर्ष 2078 नवसंवतसर 13 अप्रैल 2021 से शुरू होगा। वहीं जानकारों के अनुसार योजनाओं की स्थिति को देखते हुए इस बार करीब 90 साल बाद एक बार फिर एक खास संयोग बन रहा है, वहीं संवत 2078 के ‘राक्षस’ नाम से जाना जाएगा।
13 अप्रैल मंगलवार से शुरू हो रहे नवसंवत्सर के दिन दो बजकर 32 मिनट में सूर्य का मेष राशि में प्रवेश हो रहा है। संवत्सर प्रतिपदा और विषुवत संक्रांति दोनों एक ही दिन 31 गते चैत्र, 13 अप्रैल को हो रही है। यह विचित्र स्थिति 90 वर्षों से अधिक समय के बाद हो रही है। इसके अलावा भारतवर्ष में ऋतु परिवर्तन के साथ ही हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है।
चैत्र माह में शीतऋतु को विदा करते हुए और वसंत ऋतु के सुहावने परिवेश के साथ नववर्ष आता है। यह दिवस भारतीय इतिहास में कई कारणों से महत्त्वपूर्ण है। पुराण-ग्रन्थों के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ही त्रिदेवों में से एक ब्रह्मदेव ने सृष्टि की रचना की थी, इसीलिए हिंदू-समाज भारतीय नववर्ष का पहला दिन अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
राजा और मंत्री दोनों मंगल
वर्ष का राजा व मंत्री का पदभार स्वयं भौम देव संभाले हुए है। भौम देव की उग्रतापूर्ण दशा में और राक्षस नाम संवत्सर होने से जनमानस उग्रता के साथ दानव सी प्रवृत्ति का आचरण दिखाई देगा। इस संवत्सर वर्ष में विद्वता, भय, उग्रता, राक्षसी प्रवृत्ति लोगों में पाई जाएगी। संक्रामक रोगों से संपूर्ण देश प्रभावित रहेगा।
घटस्थापना
नवरात्रि के प्रथम दिन ग्रहों के शुभ संयोग से विशेष योग का निर्माण हो रहा है। प्रतिपदा की तिथि में विष्कुंभ और प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन विष्कुंभ योग दोपहर 03 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। प्रीति योग का आरंभ होगा। करण सुबह 10 बजकर 17 मिनट तक, उसके बाद बालव रात 11 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
तिथि : 13 अप्रैल 2021, दिन : मंगलवार
पहला शुभ मुहूर्त : सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक।
दूसरा शुभ मुहूर्त : सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक।
घटस्थापना के लिए पूजन सामग्री
चौड़े मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन, कलश, सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज), पवित्र स्थान की मिट्टी, जल (संभव हो तो गंगाजल), कलावा/मौली, आम या अशोक के पत्ते (पल्लव), छिलके/जटा वाला नारियल, सुपारी, अक्षत (कच्चा साबुत चावल), पुष्प और पुष्पमाला, लाल कपड़ा, मिठाई, सिंदूर, दूर्वा इत्यादि।