Krishna Janmashtami Vrat Parana Time 2025: हर वर्ष भारत सहित विदेशों में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु ने अपने आठवें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण के रूप में मथुरा की जेल में देवकी और वसुदेव के घर जन्म लिया था। यही कारण है कि इस तिथि को पूरे देश और विश्वभर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भक्त दिनभर व्रत रखने के साथ रात को 12 बजे कान्हा का जन्मोत्सव मनाने के बाद व्रत का पारण करते हैं। आइए जानते हैं जन्मष्टमी के व्रत का पारण किस और कैसे करना चाहिए…
जन्माष्टमी 2025 व्रत पारण का समय (Krishna Janmashtami 2025 Paran Time)
जन्माष्टमी के दिन व्रत का पारण कई लोग कान्हा का जन्मोत्सव मनाने के बाद प्रसाद खाकर अपना व्रत खोल लेते हैं। आइए जानते हैं जन्माष्टमी के व्रत का पारण कब करना चाहिए…
कई लोग रात को कान्हा के जन्मोत्सव मनाने के बाद व्रत का पारण कर लेते हैं, तो कई लोग सूर्योदय के साथ या फिर अष्टमी तिथि समाप्त होने के बाद कर देते हैं।
रात में व्रत पारण का समय- आज रात 12 बजकर 47 मिनट के बाद
अगले दिन सुबह व्रत पारण का समय- 17 अगस्त को सुबह 5 बजकर 51 मिनट के बाद
जन्माष्टमी के व्रत के पारण की विधि (Krishna Janmashtami 2025 Paran Vidhi)
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कई लोग निर्जला व्रत रखती हैं, तो कई लोग फलाहारी व्रत रखते हैं। दिनभर व्रत रखने के बाद रात को 12 बजे कान्हा का जन्मोत्सव मनाया जाता है। विधिवत पूजा करने के साथ धनिया की पंजीरी, आटा का पुआ, खीर, माखन-मिश्री आदि का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही झूला झुलाने के साथ विभिन्न तरह से भजन गाकर उन्हें प्रसन्न करते हैं। इसके बाद विधिवत आरती करने के बाद भूलचूक के लिए माफी मांग लें। फिर आप चाहे, तो प्रसाद खाकर व्रत का पारण कर सकते हैं । इसके अलावा अगले दिन सुबह के समय नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद कान्हा की विधिवत पूजा कर लें। इसके उपरांत सात्विक भोजन या फिर प्रसाद खाकर अपना व्रत खोल लें। इस बात का ध्यान रखें कि अपना व्रत लहसुन, प्याज या फिर मांसाहार के साथ न खोलें।
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