Janmashtami 2025, Nal Chhedan Vidhi: हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आधी रात को कान्हा का जन्मोत्सव मनाया जाता है। आज देशभर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। आज लोग कृष्ण की भक्ति में लीन होने के साथ व्रत रखते हैं। इसके साथ ही आधी रात यानी रात 12 बजे कान्हा का धूमधाम से जन्मोत्सव मनाने के साथ भव्य श्रृंगार से लेकर 56 भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही जन्मोत्सव के समय कान्हा का नाल छेदन भी किया जाता है, जो खीरा के द्वारा किया जाता है। खीरा को गर्भ का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि खीरा के अंदर जो बीज होते हैं वह उत्पत्ति और नवजीवन का प्रतीक होता है। इसलिए जन्माष्टमी के दिन कान्हा के जन्मोत्सव के दौरान खीरा विधिवत तरीके से जरूर काटें। आइए जानते हैं नाल छेदन की सही विधि…
कैसे करें खीरे से नाल छेदन
जन्माष्टमी को आधी रात 12 बजे कान्हा का जन्मोत्सव मनाया जाता है। ऐसे में करीब 7 बजे एक टोकरी या बर्तन को पीले रंग या कोई अन्य कपड़ा बिछा दें। इसके बाद इसमें फूल आदि रखकर उसके ऊपर लड्डू गोपाल रख दें। फिर इसे फूलों से ढक दें और बगल में खीरा रख दें। अगर डंठल के साथ खीरा है, तो ज्यादा बेहतर है। इसके बाद इसे कपड़े से ढक दें। रात को 12 बजे कान्हा जी को टोकरी से निकाले। इसके बाद खीरा के ऊपर सिरे को एक सिक्के से काट कर कान्हा का नाल छेदन करें। इसके बाद कृष्ण को अभिषेक करने के साथ-साथ विधिवत पूजा करें। खीरे से नाल छेदन करने की विधि में शहर, क्षेत्र के हिसाब से अलग हो सकती है।
जन्माष्टमी पर खीरा से नाल छेदन का महत्व
जन्माष्टमी पर कान्हा के जन्मोत्सव पर की जा रही परंपराओं में से एक खीरे से नाल छेदन करना भी है। बता दें कि खीरे को एक गर्भनाल के प्रतीक में इस्तेमाल किया जाता है। जैसे एक मां की कोख से बच्चे के जन्म के बाद मां से अलग करने के लिए ‘गर्भनाल’ को काटा जाता है। उसी तरह खीरे और उससे जुड़े डंठल को ‘गर्भनाल’ माना काटा जाता है, जो कृष्ण को मां देवकी से अलग करने के लिए काटे जाने का प्रतीक है। इसके अलावा खीरा बीज से भरा होता है, जिसे गर्भ का प्रतीक माना जाता है। इसे काटने के साथ ये दर्शाता है कि कान्हा का जन्म हो चुका है।
अगस्त माह का तीसरे सप्ताह सूर्य और शुक्र अपनी राशि बजलने वाले हैं, जिससे कई राजयोगों का निर्माण होने वाला है। इस सप्ताह शुक्र कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे बुध के साथ युति करके लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण करेंगे। इसके साथ ही सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे केतु के साथ युति करेंगे। इसके अलावा इस सप्ताह समसप्तक, षडाष्टक, गजलक्ष्मी, नवपंचम, महालक्ष्मी जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। ऐसे में कुछ राशि के जातकों को इस सप्ताह विशेष लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं मेष से लेकर मीन राशि तक के जातकों का कैसा बीतेगा ये सप्ताह। जानें साप्ताहिक टैरो राशिफल
डिसक्लेमर- इस लेख को विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।