Krishna Janmashtami 2024 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Mantra: Janmashtami 2024 Puja Vidhi: दुनियाभर में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज आधी रात को कान्हा का जन्मोत्सव मनेगा। भाद्रमास के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति जन्माष्टमी पर व्रत रखकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा- अर्चना करता है, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं आपको बता दें कि इस बार जन्माष्टमी पर कई दुर्लभ योग बन रहे हैं। जिसमें चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी राजयोग बन रहा है। साथ ही जयंती योग बन रहा है। वहीं शनि देव कुंभ राशि मेंं विराजमान हैं, जिससे शश राजयोग बन रहा है। आइए जानते हैं षोडशोपचार पूजा विधि और मंत्र…

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर षोडशोपचार पूजा विधि ( Janmashtami 2024 Shodashopchar Puja Vidhi)

जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। साथ ही लड्डू गोपाल के साथ सभी देवी-देवताओं का विधि- विधान से पूजन करें। इसके साथ ही इस तरह षोडशोपचार तरीके से पूजा करें।

षोडशोपचार जन्माष्टमी पूजा और मंत्र

कृष्ण जन्माष्टमी पर बाल गोपाल की इन 16 चरणों में विधिवत पूजा करने का शास्त्र में विधान है।

ध्यान

भगवान कृष्ण की विधिवत पूजा करने के लिए सबसे पहले ध्यान करें और इस मंत्र का उच्चारण करें…

ॐ तमअद्भुतं बालकम् अम्‍बुजेक्षणम्, चतुर्भुज शंख गदाद्युधायुदम्। श्री वत्‍स लक्ष्‍मम् गल शोभि कौस्‍तुभं, पीताम्‍बरम् सान्‍द्र पयोद सौभंग। महार्ह वैढूर्य किरीटकुंडल त्विशा परिष्‍वक्‍त सहस्रकुंडलम्। उद्धम कांचनगदा कङ्गणादिभिर् विरोचमानं वसुदेव ऐक्षत। ध्यायेत् चतुर्भुजं कृष्णं,शंख चक्र गदाधरम्। पीताम्बरधरं देवं माला कौस्तुभभूषितम्। ॐ श्री कृष्णाय नम:। ध्‍यानात् ध्‍यानम् समर्पयामि।

आह्वान

ध्यान के बाद लड्डू गोपाल का आह्वान करें…

ॐ सहस्त्रशीर्षा पुरुषः सहस्त्राक्षः सहस्त्रपात्। स-भूमिं विश्‍वतो वृत्‍वा अत्‍यतिष्ठद्यशाङ्गुलम्। आगच्छ श्री कृष्ण देवः स्थाने-चात्र सिथरो भव। ॐ श्री क्लीं कृष्णाय नम:। बंधु-बांधव सहित श्री बालकृष्ण आवाहयामि।

आसन

अब श्रीकृष्ण को आसन दें और इस मंत्र का उच्चारण करेंं

ॐ विचित्र रत्न-खचितं दिव्या-स्तरण-सन्युक्तम्। स्वर्ण-सिन्हासन चारू गृहिश्व भगवन् कृष्ण पूजितः। ॐ श्री कृष्णाय नम:। आसनम् समर्पयामि।

पद्य

आसन देने के बाद भगवान कृष्ण के चरण धोने का विधान। इसके लिए आप पंचपात्र या साधारण लोटे से जल अर्पित करें। इसके साथ ही इस मंत्र को बोले…

एतावानस्य महिमा अतो ज्यायागंश्र्च पुरुष:। पादोऽस्य विश्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि। अच्युतानन्द गोविंद प्रणतार्ति विनाशन। पाहि मां पुण्डरीकाक्ष प्रसीद पुरुषोत्तम्। ॐ श्री कृष्णाय नम:। पादोयो पाद्यम् समर्पयामि।

अर्घ्य

इस मंत्र का जाप करते हुए श्रीकृष्ण को अर्घ्य दें…

ॐ पालनकर्ता नमस्ते-स्तु गृहाण करूणाकरः। अर्घ्य च फ़लं संयुक्तं गन्धमाल्या-क्षतैयुतम्। ॐ श्री कृष्णाय नम:। अर्घ्यम् समर्पयामि।

आचमन

अर्घ्य के बाद श्रीकृष्ण को जल अर्पित करते हुए इस मंत्र का जाप करें…

तस्माद्विराडजायत विराजो अधि पुरुष:। स जातो अत्यरिच्यत पश्र्चाद्भूमिनथो पुर:। नम: सत्याय शुद्धाय नित्याय ज्ञान रूपिणे। गृहाणाचमनं कृष्ण सर्व लोकैक नायक। ॐ श्री कृष्णाय नम:। आचमनीयं समर्पयामि।

स्नान

आचमन के बाद श्री कृष्ण को स्नान करना चाहिए। इसके लिए एक पात्र में भगवान कृष्ण की मूर्ति रखेंष इसके साथ पहले साधारण शुद्ध पानी से स्नान कराएं। इसके बाद दूध, दही, मक्खन, घी और शहद , गंगाजल से स्नान कराएं। अंत में साधारण पानी से स्नान कराएं। इस दौरान इस मंत्र को बोले

गंगा गोदावरी रेवा पयोष्णी यमुना तथा। सरस्वत्यादि तिर्थानि स्नानार्थं प्रतिगृहृताम्। ॐ श्री कृष्णाय नम:। स्नानं समर्पयामि।

वस्त्र समर्पण

स्नान कराने केबाद बाल गोपाल को एक साफ सूखे वस्त्र से पोंछ कर वस्त्र, आभूषण धारण कराएं।

शति-वातोष्ण-सन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम्। देहा-लंकारणं वस्त्रमतः शान्ति प्रयच्छ में। ॐ श्री कृष्णाय नम:। वस्त्रयुग्मं समर्पयामि।

यज्ञोपवीत

वस्त्र पहनाने के बाद भगवान कृष्ण को यज्ञोपवीत धारण कराएं

नव-भिस्तन्तु-भिर्यक्तं त्रिगुणं देवता मयम्। उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः। ॐ श्री कृष्णाय नम:। यज्ञोपवीतम् समर्पयामि।

चंदन

चंदन लगाते समय ये मंत्र बोले

ॐ श्रीखण्ड-चन्दनं दिव्यं गंधाढ़्यं सुमनोहरम्। विलेपन श्री कृष्ण चन्दनं प्रतिगृहयन्ताम्। ॐ श्री कृष्णाय नम:। चंदनम् समर्पयामि।

गंध

चंदन के बाद श्री कृष्ण को गंध चढ़ाएं

वनस्पति रसोद भुतो गंधह्यो गन्ध उत्तमः को धूप, अगरबत्ती दिखाएं। वनस्पति रसोद भूतो गन्धाढ़्यो गन्ध उत्तमः। आघ्रेयः सर्व देवानां धूपोढ़्यं प्रतिगृहयन्ताम्। ॐ श्री कृष्णाय नम:। गंधम् समर्पयामि।

दीपक

फिर श्रीकृष्ण की मूर्ति की समक्ष गाय के घी का दीपक जलाएं।

साज्यं त्रिवर्ति सम्युकतं वह्निना योजितुम् मया। गृहाण मंगल दीपं,त्रैलोक्य तिमिरापहम्। भक्तया दीपं प्रयश्र्चामि देवाय परमात्मने। त्राहि मां नरकात् घोरात् दीपं ज्योतिर्नमोस्तुते। ब्राह्मणोस्य मुखमासीत् बाहू राजन्य: कृत:। उरू तदस्य यद्वैश्य: पद्भ्यां शूद्रो अजायत। ॐ श्री कृष्णाय नम:। दीपं समर्पयामि।

नैवैद्य

दीपक जलाने के बाद श्री कृष्ण को भोग लगाएं। ऐसे में उन्हें माखन-मिश्री, धनिया की पंजीरी, मिठाई आदि अर्पित करें। साथ ही इस मंत्र को बोले।

शर्करा-खण्ड-खाद्यानि दधि-क्षीर-घृतानि च, आहारो भक्ष्य- भोज्यं च नैवैद्यं प्रति- गृहृताम। ॐ श्री कृष्णाय नम:। नैवद्यं समर्पयामि।

तांबूल

इसके लिए एक पान पर लौंग,इलायची, सुपारी और बताशा या फिर एक टुकड़ा मिठाई डालकर एक तांबूल बनाकर भगवान कृष्ण को अर्पित करें।

ॐ पूंगीफ़लं महादिव्यं नागवल्ली दलैर्युतम्। एला-चूर्णादि संयुक्तं ताम्बुलं प्रतिगृहृताम। ॐ श्री कृष्णाय नम:। ताम्बुलं समर्पयामि।

दक्षिणा

तांबुल के बाद श्री कृष्ण को अपनी क्षमता के अनुसार पैसे, रत्न आदि अर्पित करें

हिरण्य गर्भ गर्भस्थ हेमबीज विभावसो:। अनन्त पुण्य फलदा अथ: शान्तिं प्रयच्छ मे। ॐ श्री कृष्णाय नम:। दक्षिणां समर्पयामि।

आरती

अंत में घी के दीपक से बाल कृष्ण की आरती उतारें।

श्री कृष्ण जन्माष्मी मंत्र (Janmashtami 2024 Mantra)

ऊं नमो भगवते श्रीगोविन्दाय
कृं कृष्णाय नम:
गोवल्लभाय स्वाहा
ऊं श्री नम: श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा
गोकुल नाथाय नम:

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