Janmashtami Prasad, Chhappan Bhog Importance: जन्माष्टमी का त्योहार श्री कृष्ण के भक्तों के लिए बहुत विशेष होता है। श्री कृष्ण के भक्त इस दिन निर्जला व्रत रखते हैं। साथ ही अपने इष्ट भगवान श्री कृष्ण को रिझाने के लिए भक्त नाम जाप-कीर्तन करते हैं। साथ ही विभिन्न प्रकार के व्यंजन भी बनाते हैं। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाने का महत्व बहुत अधिक माना गया है। कहते हैं कि जो व्यक्ति भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग का प्रसाद चढ़ाता है वह जीवनभर के लिए दुखों और कष्टों से मुक्त हो जाता है। भगवान श्री कृष्ण उसकी सभी परेशानियों को हर लेते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से –

कृष्ण कन्हैया को पसंद है इन 5 चीजों का भोग: 

छप्पन भोग में भगवान को 6 प्रकार के स्वादों का भोग लगाया जाता है। जिनमें मीठा, खट्टा, नमकीन, कड़वा और तीखा आदि शामिल हैं। मान्यता है कि जिस प्रकार भक्त भगवान को हर तरीके के स्वाद का भोग लगाता है। उसी से भगवान अपने भक्त की सभी प्रकार की परेशानियों को खींच लेते हैं।

छप्पन भोग लगाने की पौराणिक मान्यता: गोवर्धन पर्वत को भगवान श्री कृष्ण का ही एक रूप माना जाता है। जब ब्रज में भगवान श्री कृष्ण ने इन्द्र देव की पूजा के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा था। तब भगवान इन्द्र क्रोधित हो गए थे। उनका क्रोध इतना अधिक था कि उन्होंने यह भी नहीं देखा कि ब्रज में भगवान श्री कृष्ण की आज्ञा से ही ब्रजवासी ऐसा कर रहे हैं। गुस्से में उन्होंने ब्रज में सात दिन तक घनघोर बारिश की। ब्रजवासियों को इस आपदा से बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर सात दिनों के लिए उठा लिया।

पर्वत उठाने की वजह से श्री कृष्ण ने सात दिन तक कुछ नहीं खाया पीया। ब्रजवासी और माता यशोदा इस बात से बहुत दुखी और चिंतित थे। इसलिए आठवें दिन जब कन्हैया ने गोवर्धन पर्वत वापस धरती पर रखा तो सभी ब्रजवासी दौड़ कर कान्हा के लिए अलग – अलग प्रकार के भोजन बनाकर ले आए। यह भोजन 56 प्रकार के थे। इस संदर्भ में यह भी कहा जाता है कि माता यशोदा कृष्ण को दिन में आठ बार भोजन करवाती थी। और क्योंकि कान्हा ने सात दिन कुछ नहीं खाया था, इसलिए 7×8 = 56 होने की वजह से भी उनको को 56 भोग का प्रसाद अर्पित किया जाता है।