Janmashtami 2018: 56 भोग के बारे में हम सबने सुना होगा। 56 भोग में पापड़ से लेकर इलाइची तक को शामिल किया जाता है। इन सबके बीच हिंदू धर्म के ग्रन्थों में भगवान श्रीकृष्ण का 56 से गहरा कनेक्शन बताया गया है। एक प्रसंग के मुताबिक मां यशोदा श्रीकृष्ण को दिन में आठ बार भोजन कराती थीं। लेकिन एक दिन इंद्र के प्रकोप से बृज को बचाने के लिए कृष्ण गोवर्धन पर्वत पर चले गए। कृष्ण गोवर्धन पर कुल सात दिनों तक रहे। ऐसे में इस दौरान वह अन्न का सेवन नहीं कर पाए। 8वें दिन बारिश रुक जाती है और कृष्ण सभी बृज वासियों को गोवर्धन पर्वत से बाहर आने के लिए कहते हैं। सभी बृजवासी सुरक्षित बाहर आ जाते हैं।
कहते हैं कि सात दिनों तक कृष्ण के भोजन ना करने की वजह से मां यशोदा काफी परेशान हुईं। इस पर उन्होंने कृष्ण के सात दिनों के आठ पहर के भोजन को 56 भोग लगाकर पूरा किया। इसका मतलब यह है कि आठवें दिन कृष्ण को खाने के लिए कुल 56 तरह के व्यंजन परोसे गए थे। बताते हैं कि कृष्ण जी 56 भोग का सेवन करके बड़े ही प्रसन्न हुए और उनकी सात दिनों की भूख शांत हो गई। बताया जाता है कि 56 भोग की प्रथा उसी वक्त से चली आ रही है।
56 भोग से जुड़ा एक प्रंसग श्रीमत भागवत में भी उल्लेखित है। इसके मुताबिक गोपियों ने लगातार एक महीने तक सुबह-सुबह स्नान करके मां कात्यायनी की पूजा की थी। बताते हैं कि गोपियों ने ऐसा श्रीकृष्ण को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए किया था। ऐसा कहा जाता है कि मां कात्यायनी ने उनकी इच्छा पूरी होने का आशीर्वाद दे दिया। इससे खुश होकर गोपियों ने श्रीकृष्ण को 56 भोग खिलाया। जानकारों के मुताबिक इस घटनाक्रम से भी 56 भोग का आरंभ माना जाता है।