Rituals of Jal Samadhi: राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का हाल ही में निधन हो गया और उन्हें जल समाधि दी गई। जल समाधि को लेकर अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता होगा कि आखिर जल समाधि क्या होती है और इसे संतों को क्यों दी जाती है, जबकि हिंदू धर्म में शव का दाह संस्कार करने की परंपरा है। तो चलिए जानते हैं, जल समाधि क्या होती और यह संतों के लिए क्यों जरूरी होता है।

जल समाधि का मतलब क्या है?

भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में संतों को जल समाधि देने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। आपको बता दें कि जल समाधि एक खास परंपरा है, जिसमें संतों के शरीर को जल में प्रवाहित किया जाता है। इसे भारतीय संस्कृति में एक पुरानी परंपरा माना जाता है। यह एक धार्मिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जो कई कारणों से की जाती है।

आध्यात्मिक कारण

जल को पवित्र और शुद्ध करने वाला तत्व माना जाता है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि जब संत जल समाधि लेते हैं, तो उनके आत्मा को शीघ्र मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर इंसान का शरीर पांच तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना होता है। इसलिए जल समाधि में शरीर को जल में मिलाकर उसे अपने मूल तत्वों में वापस भेजा जाता है। यह भी माना जाता है कि संतों का जीवन आम इंसान से अलग होता है, वे सांसारिक मोह माया से दूर रहते हैं। इसलिए जल समाधि में उनका शरीर जल में प्रवाहित कर दिया जाता है, ताकि उनका शरीर प्राकृतिक रूप से खत्म हो सके।

संतों का शरीर क्यों पूज्य माना जाता है?

सनातन धर्म में यह मान्यता है कि संतों का शरीर ईश्वर की शक्ति से भरा हुआ होता है। उनके शरीर का दाह संस्कार नहीं किया जाता है, बल्कि उसे जल में प्रवाहित किया जाता है ताकि उनकी दिव्य ऊर्जा हर जगह फैल सके।

पवित्र नदियों में जल समाधि

जल समाधि को खासतौर पर गंगा, नर्मदा, सरस्वती और गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में दिया जाता है। इन नदियों में समाधि लेने से संतों की शक्ति और आशीर्वाद पूरे ब्रह्मांड में फैलने की मान्यता है।

दाह संस्कार के बजाय जल समाधि क्यों?

कई मठों और अखाड़ों में यह परंपरा है कि संतों का दाह संस्कार करने के बजाय जल समाधि दी जाती है। इसका कारण यह है कि जल समाधि से पर्यावरण पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता और यह एक पवित्र प्रक्रिया मानी जाती है। वहीं कुछ जगहों पर जगह की कमी के कारण भी जल समाधि दी जाती है।

कौन से संन्यासी जल समाधि लेते हैं?

आमतौर पर वे संन्यासी, जो जीवनभर तपस्या करते हैं या जिनका निर्वाण हो चुका होता है, उन्हें जल समाधि दी जाती है। साथ ही, नागा साधु और अखाड़ों के प्रमुख संत भी जल समाधि ग्रहण करते हैं।

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार साधु-संन्यासियों का दाह संस्कार करने की बजाय समाधि दी जाती है। यह शास्त्रों के हिसाब से उनके तप और ज्ञान का सम्मान होता है।

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