Rath Yatra 2024: हिंदू धर्म में जगन्नाथ यात्रा का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस रथ यात्रा का आयोजन हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होता है। जो कि आज 7 जुलाई रविवार से ओडिशा से पुरी शहर में शुरू हो गई है। वहीं आपको बता दें कि भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तिथि तक जन सामान्य के बीच रहते हैं। साथ ही इस अवधि में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजकर गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। यह भव्य आयोजन 10 दिनों तक चलता है। साथ ही 53 साल बाद यह यात्रा दो-दिवसीय होगी। ग्रह-नक्षत्रों की गणना के अनुसार इस साल दो-दिवसीय यात्रा आयोजित की जा रही है। वहीं आपको बता दें कि आखिरी बार 1971 में दो-दिवसीय यात्रा का आयोजन किया गया था। आइए जानते हैं महत्व और इतिहास…
जगन्नाथ जी का रथ
भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष कहा जाता है। साथ ही इस रथ पर लहरा रहे ध्वज का नाम त्रिलोक्यमोहिनी नाम से जाता जाता है। वहीं इस रथ में 16 पहिए होते हैं। साथ ही यह रथ 13.5 मीटर ऊंचा होता है। वहीं इस रथ में खासकर पीले रंग के कपड़े का प्रयोग किया जाता है। विष्णु का वाहक गरूड़ इसकी रक्षा करता है।
बलराम जी का रथ
भगवान बलराम जी के रथ को तालध्वज नाम से जाना जाता है। वहीं इस रथ के रक्षक वासुदेव और सारथी मताली होते हैं। रथ के ध्वज को उनानी कहते हैं। वहीं जिस रस्सी से रथ खींचा जाता है, वह वासुकी कहलाता है। यह रथ 13.2 मीटर ऊंचा होता है। वहीं इसमें 14 पहिये होते हैं।
बहन सुभद्रा का रथ
शास्त्रों के अनुसार जगन्नाथ भगवान की छोटी बहन सुभद्रा का रथ का नाम पद्मध्वज है। वहीं इस रथ को तैयार करने में काले और लाल रंग के कपड़ों का प्रयोग किया जाता है। रथ की रक्षक जयदुर्गा व सारथी अर्जुन होते हैं।
रथ यात्रा का इतिहास और महत्व
शास्त्रों के अनुसार राजा इन्द्रद्युम्न भगवान जगन्नाथ को शबर राजा से यहां लेकर आए थे तथा उन्होंने ही मूल मंदिर का निर्माण कराया था। वहीं बताया जाता है कि यह बाद में नष्ट हो गया है। वहीं ऐसा माना जाता है ययाति केशरी ने भी एक मंदिर का निर्माण कराया था। वहीं वर्तमान में मंदिर की ऊंचाई 65 मीटर है। जिसको 12वीं शताब्दी में चोल गंगदेव और अनंग भीमदेव ने कराया था। मान्यता है कि रथ यात्रा के दर्शन मात्र से 1000 यज्ञों का पुण्य फल मिल जाता है। साथ ही स्कंद पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि रथ यात्रा में जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है, वह पुनर्जन्म चक्र से मुक्ति हो जाता है। साथ ही उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
जगन्नाथ रथ यात्रा का संभावित कार्यक्रम
रविवार, 7 जुलाई 2024
आपको बता दें कि 7 जुलाई को भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को रथों में विराजमान कराया जाएगा और वे सिंहद्वार से निकलकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे। वहीं इस कार्यक्रम में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शामिल होंगी। रथ यात्रा के पहले दिन दोपहर के समय तीनों देवी-देवताओं को एक-एक कर मंदिर से बाहर लाया जाएगा। वहीं फिर प्रसिद्ध रस्म ‘छेरा पहरा’ की जाएगी। साथ ही फिर शाम को श्रद्धालु रथ को खींचना शुरू करेंगे।
सोमवार, 8 जुलाई 2024
वहीं आपको बता दें कि 8 जुलाई की सुबह फिर श्रद्धालु रथ को आगे बढ़ाएंगे। वहीं रथ सोमवार को गुंडीचा मंदिर पहुंचेंगे. यदि सोमवार को किसी कारण से नहीं पहुंच पाए तो फिर मंगलवार को पहुंचेंगे।
8-15 जुलाई 2024
वहीं आपको बता दें कि 8 से 15 जुलाई के बीच में भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुंडिचा मंदिर में रहेंगे। यहां उनके लिए कई प्रकार के पकवान बनाए जाने की परंपरा है और यह परंपरा सालों से चली आ रही है।
16 जुलाई 2024
वहीं 16 जुलाई को इस दिन रथ यात्रा का समापन हो जाएगा और तीनों देवी-देवता वापस जगन्नाथ मंदिर लौट कर स्थापित कर दिए जाते हैं।