Indira Ekadashi 2025 Vrat Katha (इंदिरा एकादशी 2025 व्रत कथा इन हिंदी): हिंदू धर्म में माह में पड़ने वाली कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व है। ऐसे ही आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा से करने और पूजा-पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है तथा हर प्रकार के दुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही ये व्रत पितरों को मोक्ष दिलाने में भी सहायक माना गया है, क्योंकि ये एकादशी पितृ पक्ष के दौरान पड़ती है। इंदिरा एकादशी के दिन व्रत रखने के साथ व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और खुशियों का आगमन होता है। आइए जानते हैं इंदिरा एकादशी की पूरी कथा के बारे में…

क्या एकादशी के दिन तुलसी तोड़ना और जल चढ़ाना है अशुभ? प्रेमानंद महाराज ने दूर किया संशय

इंदिरा एकादशी संपूर्ण कथा (Indira Ekadashi 2025 Katha)

धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! आश्विन कृष्ण एकादशी का क्या नाम है? इसकी विधि तथा फल क्या है? कृपा करके इसके बारे में कहिए। भगवान श्रीकृष्ण इस एकादशी की महत्ता बताते हुए कहते हैं कि इस एकादशी का नाम इंदिरा एकादशी है। यह एकादशी पापों को नष्ट करने वाली तथा पितरों को अधोगति से मुक्ति देने वाली होती है। हे राजन! ध्यानपूर्वक इसकी कथा सुनो। इसके सुनने मात्र से ही वायपेय यज्ञ का फल मिलता है।

Indira Ekadashi 2025: जानें इंदिरा एकादशी का शुभ मुहूर्त और महत्व

प्राचीनकाल में सतयुग के समय में महिष्मति नाम की एक नगरी में इंद्रसेन नाम का एक प्रतापी राजा धर्मपूर्वक अपनी प्रजा का पालन करते हुए शासन करता था। वह राजा पुत्र, पौत्र और धन आदि से संपन्न और विष्णु का परम भक्त था। एक दिन जब राजा सुखपूर्वक अपनी सभा में बैठा था तो आकाश मार्ग से महर्षि नारद उतरकर उसकी सभा में आए। राजा उन्हें देखते ही हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और विधिपूर्वक आसन व अर्घ्य दिया। सुख से बैठकर मुनि ने राजा से पूछा कि हे राजन! आपके सातों अंग कुशलपूर्वक तो हैं? तुम्हारी बुद्धि धर्म में और तुम्हारा मन विष्णु भक्ति में तो रहता है? देवर्षि नारद की ऐसी बातें सुनकर राजा ने कहा- हे महर्षि! आपकी कृपा से मेरे राज्य में सब कुशल है तथा मेरे यहाँ यज्ञ कर्मादि सुकृत हो रहे हैं। आप कृपा करके अपने आगमन का कारण कहिए। तब ऋषि कहने लगे कि हे राजन! आप आश्चर्य देने वाले मेरे वचनों को सुनो।

21 सितंबर से इन राशियों के शुरू हो सकते हैं अच्छे दिन, बनेगा शनि-सूर्य का प्रतियुति योग, धन-वैभव में होगी बढ़ोतरी

मैं एक समय ब्रह्मलोक से यमलोक को गया, वहां श्रद्धापूर्वक यमराज से पूजित होकर मैंने धर्मशील और सत्यवान धर्मराज की प्रशंसा की। उसी यमराज की सभा में महान ज्ञानी और धर्मात्मा तुम्हारे पिता को एकादशी का व्रत भंग होने के कारण देखा। उन्होंने संदेशा दिया सो मैं तुम्हें कहता हूँ। उन्होंने कहा कि पूर्व जन्म में कोई विघ्न हो जाने के कारण मैं यमराज के निकट रह रहा हूँ, सो हे पुत्र यदि तुम आश्विन कृष्णा इंदिरा एकादशी का व्रत मेरे निमित्त करो तो मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है। इतना सुनकर राजा कहने लगा कि हे महर्षि आप इस व्रत की विधि मुझसे कहिए। नारदजी कहने लगे- आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन प्रात:काल श्रद्धापूर्वक स्नानादि से निवृत्त होकर पुन: दोपहर को नदी आदि में जाकर स्नान करें। फिर श्रद्धापूर्व पितरों का श्राद्ध करें और एक बार भोजन करें। प्रात:काल होने पर एकादशी के दिन दातून आदि करके स्नान करें, फिर व्रत के नियमों को भक्तिपूर्वक ग्रहण करता हुआ प्रतिज्ञा करें कि ‘मैं आज संपूर्ण भोगों को त्याग कर निराहार एकादशी का व्रत करूंगा।

हे अच्युत! हे पुंडरीकाक्ष! मैं आपकी शरण हूं, आप मेरी रक्षा कीजिए, इस प्रकार नियमपूर्वक शालिग्राम की मूर्ति के आगे विधिपूर्वक श्राद्ध करके योग्य ब्राह्मणों को फलाहार का भोजन कराएं और दक्षिणा दें। पितरों के श्राद्ध से जो बच जाए उसको सूँघकर गौ को दें तथा ध़ूप, दीप, गंध, ‍पुष्प, नैवेद्य आदि सब सामग्री से ऋषिकेश भगवान का पूजन करें। रात में भगवान के निकट जागरण करें। इसके पश्चात द्वादशी के दिन प्रात:काल होने पर भगवान का पूजन करके ब्राह्मणों को भोजन कराएँ। भाई-बंधुओं, स्त्री और पुत्र सहित आप भी मौन होकर भोजन करें। नारदजी कहने लगे कि हे राजन! इस विधि से यदि तुम आलस्य रहित होकर इस एकादशी का व्रत करोगे तो तुम्हारे पिता अवश्य ही स्वर्गलोक को जाएँगे। इतना कहकर नारदजी अंतर्ध्यान हो गए। नारदजी के कथनानुसार राजा द्वारा अपने बाँधवों तथा दासों सहित व्रत करने से आकाश से पुष्पवर्षा हुई और उस राजा का पिता गरुड़ पर चढ़कर विष्णुलोक को गया। राजा इंद्रसेन भी एकादशी के व्रत के प्रभाव से निष्कंटक राज्य करके अंत में अपने पुत्र को सिंहासन पर बैठाकर स्वर्गलोक को गया।

17 सितंबर से इन राशियों की पलट सकती है किस्मत, सूर्य करेंगे बुध के घर में प्रवेश, मान-सम्मान में होगी वृद्धि

हे युधिष्ठिर! यह इंदिरा एकादशी के व्रत का माहात्म्य मैंने तुमसे कहा। इसके पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से छूट जाते हैं और सब प्रकार के भोगों को भोगकर बैकुंठ को प्राप्त होते हैं।

सितंबर माह का तीसरे सप्ताह सूर्य और शुक्र अपनी राशि बजलने वाले हैं, जिससे कई राजयोगों का निर्माण होने वाला है। इस सप्ताह शुक्र कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे बुध के साथ युति करके लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण करेंगे। इसके साथ ही सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे केतु के साथ युति करेंगे। इसके अलावा इस सप्ताह समसप्तक, षडाष्टक, गजलक्ष्मी, नवपंचम, महालक्ष्मी जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। ऐसे में कुछ राशि के जातकों को इस सप्ताह विशेष लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं मेष से लेकर मीन राशि तक के जातकों का कैसा बीतेगा ये सप्ताह। जानें साप्ताहिक टैरो राशिफल

मेष राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलवृषभ राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफल
मिथुन राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलकर्क राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफल
सिंह राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलकन्या राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफल
तुला राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलवृश्चिक राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफल
धनु राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलमकर राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफल
कुंभ राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलमीन राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफल

डिसक्लेमर- इस लेख को विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।