Indira Ekadashi 2020 : इंदिरा एकादशी व्रत (Indira Ekadashi Vrat) 13 सितंबर, रविवार को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत किया जाता है। पितृपक्ष के दौरान आने वाली इस एकादशी को पितरों को मोक्ष दिलाने वाली माना जाता है। कहते हैं कि इंदिरा एकादशी का व्रत जो भी व्यक्ति अपने पितरों को याद करते हुए उनके निमित्त करता है, उनके पितरों को इसके फलस्वरूप मोक्ष की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत इतना अधिक प्रभावशाली है कि यह बरसों पहले गुजरे पितरों को भी मोक्ष दिलवाने में समर्थ है।

इंदिरा एकादशी व्रत कथा (Indira Ekadashi Vrat Katha/ Indira Ekadashi Katha)

युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से कहा प्रभु अब आप मुझे आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के बारे में बताइए। भगवान कृष्ण ने कहा कि इस एकादशी का नाम इंदिरा एकादशी है। यह पितरों को मोक्ष दिलाने वाली मानी गई है।

सतयुग की बात है। इंद्रसेन नाम का राजा था। वह महिष्मति नाम के राज्य पर राज करता था। इंद्रसेन बहुत पुण्य आत्मा और भगवान विष्णु का परम भक्त था। महिष्मति की प्रजा भी भगवान विष्णु को अपना आराध्य मानकर पूजा करती थी। इंद्रसेन पूजा-भक्ति में अपना ज्यादातार समय बिताते थे।

एक दिन देव ऋषि नारद इंद्रसेन के महल में आए और उन्हें बताया कि वह यमलोक में यम से मिलने गए थे। उन्होंने वहां राजा इंद्रसेन के पिता को देखा। उन्होंने राजा को बताया कि पिछले जन्म में तुम्हारे पिता का एकादशी का व्रत खंडित हो गया था इसके परिणामस्वरूप उन्हें यमलोक में यातनाएं सहनी पड़ रही हैं। इसलिए हे राजन! आपके पिता ने मुझे आपके पास भेजा है, ताकि मैं आपको यह बता सकूं और आप उन्हें मोक्ष दिलाने के लिए कार्य कर सकें।

राजा इंद्रसेन ने देवर्षि नारद जी से पूछा कि वह किस तरह अपने पिता को यम यातनाओं से बचाकर मोक्ष दिलवा सकते हैं। इसका उत्तर देते हुए देव ऋषि नारद ने कहा कि आप पितृपक्ष में आने वाली इंदिरा एकादशी का व्रत कीजिए। पारण कर व्रत पूर्ण होने पर इस व्रत का फल अपने पिता को दे दीजिएगा। इससे आपके पिता को मोक्ष प्राप्त होगा। राजा ने इसी प्रकार व्रत किया और व्रत का फल अपने पिता को दे दिया, जिससे उसके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई और वह बैकुंठ धाम को चले गए।