Jwalamukhi Yog: कई बार किसी काम को लेकर हम काफी उत्साहित होते हैं और उसे पूरे दिनों-जान, मेहनत से करते हैं, लेकिन कई बार इस मेहनत पर भी खामी नजर आने लगती हैं, क्योंकि जिस काम को लेकर आप सौ प्रतिशत दृढ  निश्चय थे कि इसमें जरूर सफलता हासिल होगी, लेकिन इसी काम में किसी न किसी तरह से रुकावट आ रही है या फिर काम बीच में ही रूक जाता है।  ऐसे में हर कोई अपने भाग्य को दोष देने लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति में परिवर्तन के कारण भी आपके काम पर असर पड़ता है। इन्हीं अशुभ योगों में से एक है ज्वालामुखी योग। आइए जानते हैं ज्वालामुखी योग के बारे में।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ज्वालामुखी योग एक ऐसा अशुभ योग है जिसमें किसी भी तरह के शुभ या मांगलिक काम करने से अशुभ परिणाम ही प्राप्त होते हैं।  

जून माह में कब से कब तक ज्वालामुखी योग?

पंचांग के अनुसार, 5 जून को सुबह 3 बजकर 23 मिनट से ज्वालामुखी योग शुरू हो रहा है, जो 6 बजकर 38 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।

कब बनता है ज्वालामुखी योग?

बता दें कि ज्वालामुखी योग तिथि, योग और नक्षत्र के संयोग से बनता है। ये अशुभ योग पांच तिथियों और 5 नक्षत्रों के संयोग से बनता है।

  • प्रतिपदा तिथि के दिन मूल नक्षत्र हो
  • पंचमी तिथि को भरणी नक्षत्र हो
  • अष्टमी तिथि को कृतिका नक्षत्र
  • नवमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र
  • दशमी तिथि को आश्लेषा नक्षत्र

ज्वालामुखी योग का क्या होता है प्रभाव?

  • अगर किसी का विवाह इस अशुभ योग में हो जाता है, तो शादी में किसी न किसी समस्या का सामना जरूर करना पड़ता है। वैवाहिक जीवन में सुख नहीं रहता है।
  • कहा जाता है कि किसी भी शुभ काम को इस योग पर बिल्कुल भी नहीं शुरू करना चाहिए।
  • अगर किसी बच्चे का जन्म ज्वालामुखी योग में हुआ है तब उसे अरिष्ट योग हो सकता है। इसके लिए कुंडली दिखना सही रहेगा।
  • ज्वालामुखी योग में बोया गया बीज भी अच्छी फसल नहीं देता है।
  • अगर कोई व्यक्ति ज्वालामुखी योग में बीमार पड़ जाता है, तो उसे लंबे समय तक उस बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।
  • नया घर, कुआं खोदना या फिर नए घर की नींव इस अशुभ योग में बिल्कुल नहीं रखनी चाहिए।