महाराष्ट्र के मुंबई शहर में समुद्र किनारे स्थित महालक्ष्मी मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां जो भी भक्त दर्शन करता है उसे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यहां भक्त को महालक्ष्मी के आशीर्वाद के साथ-साथ उसे धन-धान्य का भी आशीर्वाद मिलता है। कहा जाता है कि इस मंदिर के पीछे दीवारों पर मनौती के सिक्के चिपकाने से मनोकामना पूरी होती है। हैरान करने वाली बात तो ये है कि यहां सिक्के खुद ही चिपक जाते हैं। परंतु क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर में सिक्के चिपकाने के पीछे क्या धार्मिक मान्यता है? यदि नहीं, तो आगे इसे जानते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अंग्रेजों द्वारा महालक्ष्मी क्षेत्र और वलय क्षेत्र को जोड़ने के लिए ब्रिज कोइरी मार्ग के आयोजन को समुद्र की लहरों ने विफल कर दिया। कहते हैं कि उस समय एक ठेकेदार को सपने में मां लक्ष्मी ने समुद्रतल से देवियों की तीन प्रतिमाएं निकालकर मंदिर में स्थापित करने के लिए कहा। जिसके बाद इन तीन मूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया गया। वर्तमान में भी वो तीन मूर्तियां यहीं पर स्थापित हैं। महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती को सोने और मोतियों से किया गया शृंगार यहां आने वाले हर भक्तों का मन मोह लेती है।
बता दें कि इस मंदिर में महालक्ष्मी शेर पर सवार हैं। वहीं मान्यता यह भी है कि इस मंदिर में स्थापित महालक्ष्मी की मूर्ति स्वयंभू है। वास्तविक मूर्तियों को सोने के मुकुट से ढककर रखा जाता है। इस मंदिर का निर्माण साल 1831 में धाग जी दादाजी नाम के व्यापारी ने करवाया था। समुद्र के किनारे बसे होने की वजह से इस मंदिर की सुंदरता और भी बढ़ जाती है। मंदिर के पीछे की तरफ कुछ सीढ़ियां उतरने के बाद समुद्र का बहुत ही सुंदर नजारा देखने को मिलता है। कहते हैं कि इन्हीं सब खूबियों के कारण महालक्ष्मी का यह मंदिर बेहद खास और प्रसिद्ध है।