Anshavatar Yog In Kundli: वैदिक ज्योतिष अनुसार जब भी किसी व्यक्ति का जन्म होता है, तो उसकी जन्मकुंडली में ग्रह अन्य ग्रहों के साथ युति करके कई तरह के शुभ योग और राजयोग का निर्माण करते हैं। जिसका प्रभाव उसके करियर, वैवाहिक जीवन, सेहत और संतान पक्ष पर पड़ता है। वहीं यहां हम ऐसे ही बेहद शुभ योग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका नाम है अंशावतार योग। वैदिक ज्योतिष में इस योग को बेहद ही मंगलकारी माना जाता है।
यह योग शनि, बृहस्पति और शुक्र के संयोग से यह योग बनता है। यह योग व्यक्ति को दैवीय बनाता है। वह व्यक्ति धन-संपत्ति के मामले में हमेशा लकी रहती है। साथ ही व्यक्ति को सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। व्यक्ति अतिधनवान होता है। वहीं व्यक्ति मान- सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। आइए जानते हैं कुंडली में कैसे बनता है अंशावतार योग और इसके लाभ…
ऐसे बनता है अंशावतार योग
अंशावतार योग शनि, शुक्र और गुरु के संयोग से बनता है। वहीं ज्योतिष के मुताबिक, अवतार योग बनने के लिए, लग्न का स्वामी केंद्र में होना चाहिए। साथ ही शुक्र और बृहस्पति ग्रह पहले, चौथे, सातवें, या दसवें भाव में होने चाहिए। वहीं शनि देव भी कुंडली में उच्च के स्थित होने चाहिए। वहीं यहां पर ये देखना भी जरूरी है कि शुक्र, गुरु बृहस्पति की यहां डिग्री क्या है।
अंशावतार योग का फल
वैदिक ज्योतिष अनुसार इस योग के बनने व्यक्ति अकूत धन- संपत्ति का मालिक बनता है। साथ ही व्यक्ति मेहनती और कर्मठ होता है। वहीं यह योग व्यक्ति को समाज में उच्च स्थान, पुण्य कर्मों के लिए प्रसिद्धि, और धार्मिक और ऐतिहासिक स्थानों की तीर्थयात्रा भी प्रदान करता है। साथ ही इस योग से व्यक्ति को आध्यात्मिक आशीर्वाद मिलता है। वहीं ये लोग आस्थावादी होते हैं और भगवान में इनको पूर्ण आस्था होती है। ऐसे लोग जीवन में हमेशा कुछ न कुछ नया करते रहते हैं। ऐसे लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। साथ ही ऐसे लोग राजनीति में बहुत सफल होता है। इनके पास अच्छा नेतृत्व करने की क्षमता रहती है। ऐसे जातक कोई बहुत बड़ा काम करते हैं जिनका समाज में मान-सम्मान होता है और एक अलग तरह की पहचान होती है।