मथुरा के गोवर्धन पर्वत के बारे में अधिकांश लोग जानते हैं। इस पर्वत की परिक्रमा का बेहद खास धार्मिक महत्व माना जाता है। इसलिए इसकी परिक्रमा करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। मथुरा में स्थित गोवर्धन पर्वत और इसके आसपास के क्षेत्र को लोग ब्रज भूमि भी कहते हैं। कहते हैं कि इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में ब्रज वासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाया था। मथुरा में गोवर्धन पर्वत कैसे आया? इसको आज भी शायद कम लोग ही जानते हैं। प्रसंग के माध्यम से जानते हैं कि मथुरा में गोवर्धन पर्वत कैसे आया।

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार लगभग पांच हजार साल पहले गोवर्धन पर्वत तीस हजार फीट ऊंचा हुआ करता था। लेकिन आज यह पर्वत मात्र तीस मीटर का ही रह गया है। बेहद पुराने इस गिरिराज पर्वत के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस पर्वत की खूबसूरती से पुलस्त्य ऋषि बहुत प्रभावित हुए। उनहोंने द्रोणांचल पर्वत से इसे उठाकर साथ लाना चाहा। तब गिरिराज जी ने पुलस्त्य ऋषि से कहा कि आप मुझे जहां भी पहली बार रखेंगे मैं वहीं पर स्थापित हो जाऊंगा।

कहते हैं कि इस पर्वत को लाते वक्त रास्ते में साधना के लिए ऋषि ने इस पर्वत को नीचे रख दिया। फिर वह दुबारा इस पर्वत को हिला भी नहीं सके। इससे क्रोध में आकर उन्होंन पर्वत को ये श्राप दे दिया कि वह रोज घटता जाएगा। माना जाता है कि उसी समय से गोवर्धन पर्वत का आकार लगातार घटता जा रहा है।