जीवन में ग्रह बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। ग्रहों की स्थिति के आधार पर ज्योतिष संबंधी बहुत सारा ज्ञान दिया जाता है। इन ग्रहों की कुल संख्या 9 है, जिनमें सबका अलग-अलग महत्व है। व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर उसके लिए शुभ-अशुभ निर्धारित होता है। इस सबके बीच राहु और केतु दो ऐसे ग्रह हैं, जिन्हें अशुभ माना जाता है। राहु और केतु को ज्योतिष में छाया ग्रह कहते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि इनकी छाया यानी उपस्थिति व्यक्ति के जीवन में अशुभ घटनाएं लाती हैं। आज हम राहु के बारे में विस्तार से बात करेंगे। बता दें कि कुंडली में ये सभी ग्रह दूसरे ग्रहों के साथ युति करते हैं और इसी के आधार पर इनका परिणाम निर्धारित होता है। आइए, जानते हैं कि राहु ग्रह जब दूसरे ग्रहों के साथ युति करता है तो उसका क्या परिणाम होता है।
एस्ट्रोलॉजर डॉक्टर दीक्षा राठी के अनुसार, यदि कुंडली में राहु शुक्र ग्रह के साथ युति करता है तो व्यक्ति गलत आदतों का शिकार हो जाता है। उस व्यक्ति को नशे और जुए की लत लग जाती है। इसके अलावा वह आपराधिक गतिविधियों में भी संलग्न हो सकता है। दरअसल, शुक्र ग्रह को शुभ का कारक माना जाता है, लेकिन राहु उसके शुभ प्रभाव को समाप्त कर देता है। यदि कुंडली में राहु और गुरु की युति होती है तो व्यक्ति लंबी आयु को प्राप्त करता है। लेकिन उसके इस लंबे जीवन में परेशानियां बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।
यदि व्यक्ति की कुंडली में राहु और शनि की युति होती है तो वह शख्स रहस्यमय हो जाता है। वह कुछ गुप्त कार्यों के जरिए धन कमाने के चक्कर में पड़ जाता है। इसके अलावा यदि राहु की सूर्य के साथ युति बनती है तो इससे उस व्यक्ति की आंखें कमजोर हो जाती हैं। राहु और चंद्र की युति बनने से व्यक्ति मानसिक परेशानियों से जूझने लगता है। राहु और मंगल की युति बने तो शत्रुओं का खतरा बढ़ जाता है। यदि कुंडली में राहु की बुध के साथ युति बनती है तो व्यक्ति खुद को होशियार और दूसरों को मूर्ख समझने लगता है।