भारत में अनेक धार्मिक स्थल हैं जो अपनी किसी न किसी खूबी के कारण विश्व प्रसिद्ध हैं। कहते हैं कि यदि किसी को विभिन्न संप्रदाय देखने के मन हो तो उसे भारत का दौरा करना चाहिए। यह इसलिए क्योंकि भारत ही एकलौता ऐसा देश है जहां हर धर्म-संप्रदाय के लोग साथ मिलकर रहते हैं। यही कारण है कि अनेक प्रकार के धार्मिक स्थल और मंदिरों आदि की भरमार देखने को मिलती है। यहां देवी-देवताओं के तो अनेकों मंदिर हैं। साथ ही कई ऐसे रहस्यमयी मंदिर हैं जिसके रहस्य इतना दिलचस्प है कि सुनने वाला दंग रह जाए। आगे हम आपको भगवान विष्णु के उस मंदिर के बारे में बता रहे हैं जिसे सास-बहू मंदिर के नाम से जान जाता है।
राजस्थान के उदयपुर से दूर नागदह गांव में भगवान विष्णु को समर्पित एक मंदिर है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार प्राचीन समय में कच्छवाहा वंश के राजा महिपाल का शासन था। इनकी पत्नी भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थी। उनकी पुजा-अर्चना को ध्यान में रखते हुए यहां सहस्रबाहु नाम के मंदिर का निर्माण करवाया गया। कुछ समय बाद रानी के पुत्र का विवाह हुआ और उनकी बहू भगवान शिव को पूजती थी। राजा ने अपनी बहू के लिए इस मंदिर के पास भगवान शिव का मंदिर बनवाया। जिसके बाद दोनों मंदिरों को सहस्रबाहु मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।
बता दें कि इस मदिर में सबसे पहले भगवान विष्णु की स्थापना हुई थी। इसलिए इस मंदिर का नाम सहस्रबाहु पड़ा। इस मंदिर के नाम का उच्चारण सही तरीके से न होने के कारण लोग इस मंदिर को सास-बहू मंदिर कहने लगे। मान्यता के अनुसार इस मंदिर का निर्माण ग्यारह सौ साल पहले महिपाल और रत्नपाल ने करवाया था। कहते हैं बड़ा मंदिर अपनी मां के लिए और छोटा मंदिर अपनी रानी के लिए महिपाल ने बनवाया था। मंदिर परिसर में भगवान विष्णु की 32 मीटर ऊंची और 22 मीटर चौड़ी सौ भुजाओं वाली प्रतिमा स्थापित है।
