Heramba Sankashti Chaturthi 2024 Puja Muhurat And Vidhi: हर मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। हर एक मास में पड़ने वाली चतुर्थी का अपना एक महत्व होता है। ऐसे ही भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भी व्रत पड़ता है। इसे हेरम्ब संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कहा जाता है। यह व्रत उत्तर भारत में अधिक धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। ये 13 संकष्टी गणेश चतुर्थी में से एक है। इस दिन पूजा करने के साथ व्रत रखने से जीवन के हर एक दुख दूर हो जाते है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं हेरम्ब संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और आरती…

हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी 2024 डेट (Heramba Sankashti Chaturthi 2024 Date)

भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 22 अगस्त 2024 को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर आरंभ हो रही है, जो 23 अगस्त 2024 को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में भाद्रपद माह की हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी का व्रत 22 अगस्त को किया जाएगा। इस दिन कजरी तीज का भी पर्व मनाया जा रहा है।

हेरम्ब संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत 2-24 तिथि और शुभ मुहूर्त (Heramba Sankashti Chaturthi 2024 Shubh Muhurat)

सुबह पूजा का समय – सुबह 6 बजकर 6 मिनट से सुबह 7 बजकर 42 मिनट तक
पूजा मुहूर्त – शाम 5 बजकर 17 मिनट से रात 9 बजकर 41 मिनट तक
चंद्रोदय समय – रात 8 बजकर 51 मिनट

हेरंब संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Heramba Sankashti Chaturthi 2024 Puja Vidhi)

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद हाथों में एक फूल और थोड़ा सा अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें और फिर इसे गणपति जी को चढ़ा दें। इसके बाद गणेश जी की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले जल से आचमन करने के बाद फूल, माला, दूर्वा, सिंदूर, रोली, कुमकुम आदि चढ़ा दें। इसके बाद मोदक, बूंदी के लड्डू के साथ मौसमी फलों का भोग लगाएं। इसके बाद घी का दीपक जलाकर गणेश मंत्र गणेश चालीसा का पाठ करके अंत में आरती कर लें। दिनभर व्रत रखने के बाद चंद्र देव को अर्घ्य देने के साथ व्रत खोल लें।

हेरंब संकष्टी चतुर्थी पूजा मंत्र (Heramba Sankashti Chaturthi 2024 Puja Mantra)

हे हेरंब त्वमेह्योहि ह्माम्बिकात्र्यम्बकात्मज

सिद्धि-बुद्धि पते त्र्यक्ष लक्षलाभ पितु: पित:

नागस्यं नागहारं त्वां गणराजं चतुर्भुजम्

भूषितं स्वायुधौदव्यै: पाशांकुशपरश्र्वधै:

गणेश आरती

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥