आज के दौर में पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। हर देश अपने अपने स्तर पर इससे निपटने के प्रयास भी कर रहा है। भारत में इस बीमारी के चलते लॉकडाउन का तीसरा फेज शुरू हो चुका है। इस महामारी का रामबाण उपाय है सोशल डिस्टेंसिंग। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीमारियों का ज्योतिषीय कनेक्शन भी होता है। कैसे? जानिए यहां…

ज्योतिष अनुसार कुल 9 ग्रह माने गये हैं। हर रोग का किसी न किसी ग्रह से संबंध होता है। जब कोई ग्रह पीड़ित होता है तो व्यक्ति को उस ग्रह से संबंधित रोगों का सामना करना पड़ता है। जानिए ग्रहों का मानव शरीर से कनेक्शन…

सूर्य: इस ग्रह का संबंध आंख, सिर और हार्ट से होता है। इसलिए सूर्य ग्रह के खराब होने से इनसे संबंधित रोगों का सामना करना पड़ता है। इस ग्रह के खराब होने से व्यक्ति मोटापे का शिकार भी हो जाता है।

चंद्रमा: इसे छाती, फेफड़ों और आंख की रोशनी से संबंधित माना गया है। इसलिए चंद्रमा के प्रभावित होने से रक्त विकार, अस्थमा और मानसिक परेशानियों जैसे रोग होते हैं।

मंगल: यह हमारे नाक, कान और पित्ताशय से कनेक्ट है। इसलिए इन अंगों पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। साथ ही रक्त संक्रमण जैसी बीमारी भी इसके कारण होती है।

बुध: बुध दोष के कारण व्यक्ति की वाणी प्रभावित होती है। जिससे बोलने में कठिनाई होने लगती है।

बृहस्पति: इस ग्रह के पीड़ित होने पर पाचन संबंधी और मोटापे से संबंधित रोग हो सकते हैं। ऐसे लोगों का हाजमा हमेशा खराब ही रहता है।

शुक्र: इस ग्रह के कमजोर होने पर व्यक्ति व्यक्ति गुप्तांग, कामशक्ति और आँख की समस्या से पीड़ित हो सकता है।

शनि: इस ग्रह के कमजोर होने पर व्यक्ति आकस्मिक दुर्घटना, जोड़ों में तकलीफ, लीवर संक्रमण का शिकार हो सकता है।

राहु-केतु: ये छाया ग्रह हैं। इनका शरीर के किसी भी अंग पर स्वतंत्र प्रभाव नहीं होता। ये जिस ग्रह के साथ होते हैं उसका प्रभाव और भी ज्यादा बढ़ा देते हैं।

रोग का अधिपति ग्रह षष्ठेश: ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के 6ठे भाव को रोग का भाव माना गया है एवं इसके अधिपति ग्रह को ‘षष्ठेश’ कहा जाता है। यदि किसी जातक पर षष्ठेश की महादशा या अंतरदशा चल रही हो तो वह निश्चित ही किसी-न-किसी रोग से पीड़ित होगा। यदि षष्ठेश जन्म पत्रिका के किसी शुभ भाव में स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति शीघ्र ही रोग से मुक्त नहीं हो पाता।

क्रूर ग्रह का पीड़ित होना है हानिकारक: अष्टमेश व राहु-केतु की दशाएं भी जातक के स्वास्थ्य व जीवन के लिए हानिकारक सिद्ध होती हैं। जानते हैं कि ज्योतिष की दृष्टि से आप किस जोन में कहे जाएंगे-

1. ग्रीन जोन- यदि आप वर्तमान में षष्ठेश, मारकेश व क्रूर ग्रह की महादशा, अंतरदशा या प्रत्यंतर दशा के प्रभाव में नहीं है और आप पर किसी शुभ ग्रह की महादशा नहीं चल रही है तो आप सुरक्षित हैं यानी कि ग्रीन जोन में माने जाएंगे।

2. ऑरेंज जोन- यदि आप पर षष्ठेश या किसी क्रूर ग्रह की महादशा, अंतरदशा या प्रत्यंतर दशा चल रही है किंतु मारकेश की महादशा-अंतरदशा व प्रत्यंतर दशा से आप प्रभावित नहीं हैं, तब आप ऑरेंज जोन में माने जाएंगे।

3. रेड जोन- यदि आपकी जन्म पत्रिका के अनुसार वर्तमान में आप षष्ठेश, मारकेश व क्रूर ग्रह की महादशा, अंतरदशा या प्रत्यंतर दशा के प्रभाव में हैं और आप मारकेश की महादशा या अंतरदशा के प्रभाव में हैं तो आप रेड जोन में माने जाएंगे। इसी के साथ यदि कुंडली में महादशा (मारकेश/ षष्ठेश), अंतरदशा ((मारकेश/ षष्ठेश) व प्रत्यंतर दशा (मारकेश/ षष्ठेश/ क्रूर ग्रह) का संयोग बन रहा हो तो ऐसे जातक को बेहद ही सावधान रहने की आवश्यकता है।