हरतालिका तीज का पावन त्यौहार आ गया है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और फिर अगले दिन पूजा के बाद इस व्रत का पारण किया जाता है। वैसे तो साल में चार तीज आती हैं लेकिन उन सभी में हरतालिका तीज का सबसे अधिक महत्व माना जाता है। इस व्रत को कुंवारी लड़कियों द्वारा भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। यहां जानें हरतालिका तीज व्रत की विधि, कहानी, शुभ मुहुर्त, आरती और संबंधित अन्य जानकारी…
व्रत का महत्व – सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए और अविवाहित युवतियां मन-मुताबिक वर की प्राप्ति के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिवशंकर के लिए रखा था। इसलिए इस दिन विशेष रूप से गौरी-शंकर की पूजा होती है। उत्तर भारत के कई राज्यों में इस दिन मेहंदी लगाने और झूला झूलने की भी प्रथा है। इस त्यौहार की रौनक विशेष तौर पर उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में देखने को मिलती है। इस व्रत को निर्जला रखा जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत खोला जाता है।
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व्रत विधि – इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पहले ही उठ जाती हैं और स्नान कर पूरा श्रृंगार करती हैं। पूजा के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित की जाती है। पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। और इस पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। फिर रात में भजन-कीर्तन किया जाता है और शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है। इसके उपरान्त प्रात:काल स्नान करने के बाद पूजा कर श्रंगार सामग्री को किसी सुहागिन महिला को दान कर व्रत खोला जाता है।
हरतालिका तीज पूजन सामग्री – हरतालिका व्रत से एक दिन पहले ही पूजा की सामग्री जुटा लें जो इस प्रकार है – गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद।
मां पार्वती की सुहाग सामग्री: मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, सुहाग पिटारी।
हरतालिका तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त – जो लोग 2 सितंबर को व्रत रख रहे हैं उन्हें सूर्योदय से 2 घंटे के अंदर ही तीज का पूजन कर लेना होगा। क्योंकि इनके पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 58 मिनट तक का ही है।
पूजा विधि – हरतालिका तीज व्रत माता गौरी और भगवान शंकर को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को सुबह स्नान करके व्रत करने का संकल्प ले लेना चाहिए। इसके बाद पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें। पूजा घर में कलश की स्थापना करके उस पर सुवर्णादि निर्मित शिव-गौरी को प्रतिष्ठित करें। सुहाग की सामग्री मां पार्वती को अर्पित करें। शिव जी को भी वस्त्र अर्पित करें। हरतालिका व्रत कथा सुनें। फिर भगवान गणेश, माता पार्वती और शिवजी की आरती उतारें। रात को जागरण करें। फिर अगले दिन सुबह स्नान कर माता पार्वती का पूजन करें। भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत को खोल लें। पार्वती जी को चढ़ाई गई श्रंगार सामग्री को किसी सुहागिन महिला को दान कर दें।
हरतालिका तीज व्रत कथा – पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अधोमुखी होकर घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न का त्याग कर दिया था। काफी समय सूखे पत्ते चबाकर काटी और फिर कई सालों तक उन्होंने केवल हवा पीकर ही जीवन व्यतीत किया। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की स्तुति में रात्रि भर जागरण किया। तब माता के इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।
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