ऐसे तो साल में कुल चार तीज मनाई जाती हैं। लेकिन भादो मास में शुक्ल पक्ष की तृतिया तिथि को आने वाली हरतालिका तीज का खास महत्व होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए तो कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं। यह व्रत निर्जला रखा जाता है और इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साल 2019 में हरतालिका तीज कहीं 1 सितंबर को मनाई गई तो कहीं आज यानी 2 सितंबर को मनाई जा रही है।
हरतालिका तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त – अगर आपने हरतालिका तीज व्रत 02 सितंबर को रखा है तो सूर्योदय होने के बाद दो घंटे के अंदर ही तीज पूजन करना होगा।
Hartalika Teej 2019: Vrat Katha, Puja Vidhi, Muhurat, Timings, Aarti, Vrat Vidhi
हरतालिका तीज का इतिहास (Hartalika Vrat Katha) – एक कथा के अनुसार मां पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न का बिल्कुल भी सेवन नहीं किया और कई वर्षों तक उन्होंने केवल हवा पीकर ही निकाल दिये। माता पार्वती को देखकर उनके पिता अत्यंत दुखी थे। इसी दौरान महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से विवाह का प्रस्ताव लेकर मां पार्वती के पिता के पास पहुंचे, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
तीज शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, सामग्री यहां जानें
पिता ने जब मां पार्वती को उनके विवाह की बात बताई तो वह बहुत दुखी हो गईं। फिर एक सखी के पूछने पर माता ने उसे बताया कि वह यह कठोर व्रत भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कर रही हैं, जबकि उनके पिता उनका विवाह विष्णु से कराना चाहते हैं। तब सहेली ने माता पार्वती को घने जंगलो में जाकर रहने की सलाह दी। सखी की सलाह को मानते हुए मां पार्वती गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गईं।
भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र को माता पार्वती ने रेत के शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की स्तुति में लीन होकर रात भर जागरण किया। माता की इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।
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क्यों पड़ा हरतालिका तीज नाम- हरतालिका दो शब्दों से बना है, हरित और तालिका। हरित का अर्थ है हरण करना और तालिका का मतलब है सखी यानी सहेली। यह पर्व भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है, जिस कारण इसे तीज कहते है। इस व्रत को हरितालिका इसलिए कहा गया, क्योकि मां पार्वती की सखी उनका पिता के घर से हरण कर जंगल में ले गई थी।

