Hariyali Teej 2025: सावन के पावन महीने में आने वाला हरियाली तीज का पर्व महिलाओं के लिए अत्यंत विशेष होता है। यह दिन खासतौर पर सुहागिनों के लिए समर्पित होता है, जो अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे जीवनसाथी की कामना से भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करती हैं। महिलाएं इस दिन अपने हाथों को खूबसूरत मेहंदी डिजाइनों से सजाती हैं, जिसे शुभता और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हरियाली तीज पर मेहंदी क्यों लगाई जाती है? आइए जानते हैं इसके पीछे की धार्मिक मान्यता….
हरियाली तीज पर मेहंदी लगाने का महत्व
भारत में मेहंदी लगाना केवल एक श्रृंगार नहीं, बल्कि एक पुरानी परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है। विशेष रूप से तीज जैसे त्योहारों पर मेहंदी लगाना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे न सिर्फ सौभाग्य बढ़ता है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी बनी रहती है। हरियाली तीज के अवसर पर महिलाएं अपने हाथों को मेहंदी से सजाकर भगवान शिव और माता पार्वती से अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह परंपरा केवल सजने-संवरने की नहीं, बल्कि आस्था और प्रेम का प्रतीक भी है।
प्यार और रिश्ते की निशानी
ऐसा माना जाता है कि मेहंदी जितनी गहरी रचती है, पति का प्रेम उतना ही गहरा होता है। यह सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन महिलाओं के लिए यह परंपरा बेहद खास होती है। खासकर शादीशुदा महिलाएं मेहंदी रचाते समय उसमें अपने पति के नाम का पहला अक्षर छुपाकर लगाती हैं और फिर उनसे उसे ढूंढने को कहती हैं। इस मीठी सी रिवाज से न केवल रिश्ते में अपनापन और मस्ती बनी रहती है, बल्कि रिश्ता मजबूत होता है और प्यार बढ़ता है।
सजने-संवरने का मौका
हरियाली तीज महिलाओं के लिए न सिर्फ एक धार्मिक पर्व है, बल्कि सजने-संवरने का एक सुंदर उत्सव भी है। इस दिन सुहागिनें हरे रंग की साड़ियां या सूट पहनती हैं, हाथों में रंग-बिरंगी चूड़ियां सजाती हैं, बालों में गजरा लगाती हैं और हथेलियों व पैरों पर मेहंदी रचाती हैं। इस दिन महिलाएं अपनी खुशियों को पूरी तरह से जीती हैं और पर्व के हर पल को हर्षोल्लास से मनाती हैं।
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