Hariyali Teej Puja Vidhi Timing, Puja Ka Shubh Muhurat in Hindi: आज देशभर में हरियाली तीज का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में हरियाली तीज का विशेष महत्व है। हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। वह कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वता का पुनर्मिलन हुआ था। इसी के कारण इस दिन शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है। आइए जानते हैं हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, सामग्री और आरती…
कब है हरियाली तीज 2024? (Hariyali Teej 2024 Date)
द्रिक पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 6 अगस्त को शाम 7 बजकर 42 मिनट पर आरंभ हो गई है, जो 7 अगस्त 2024 को रात 10 बजे समाप्त होगी।
हरियाली तीज 2024 शुभ मुहूर्त (Hariyali Teej 2024 Muhurat)
सुबह का मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 46 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक
दोपहर का मुहूर्त – सुबह 10 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक
शाम का मुहूर्त – शाम 05 बजकर 27 मिनट से शाम 07 बजकर 10 मिनट तक
हरियाली तीज शुभ योग (Hariyali Teej Shubh Yog)
इस साल हरियाली तीज पर शिव योग के साथ कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन परिघ योग सुबह से लेकर 11 बजकर 42 मिनट तक है। इसके बाद शिव योग आरंभ हो जाएगा, जो अगले दिन यानी 8 अगस्त तो दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक है। और शिव योग अगले दिन रहेगा। इसके साथ ही रवि योग रात 8 बजकर 30 मिनट से लेकर अगले दिन 8 अगस्त को सुबह 5 बजकर 47 मिनट तक है।
हरियाली तीज 2024 की संपूर्ण सामग्री (Hariyali Teej 2024 Samagri)
मिट्टी या पीतल का एक कलश, गणेश जी, मां पार्वती और शिव जी की मिट्टी से मूर्ति या फिर तस्वीर, लकड़ी की चौकी, चौकी में बिछाने के लिए लाल या पीला कपड़ा, चौकी में चारों ओर बांधने के लिए केले के पत्ते 2-2 पत्ते, नारियल, सोलह श्रृंगार (चुनरी,काजल, मेहंदी, चूड़ी, सिंदूर, बिंदी, बिछिया, महावर, कंघी, शीशा आदि), मां पार्वती को चढ़ाने के लिए नई हरी साड़ी, शिव जी और गणेश जी के वस्त्र, फूल, बेलपत्र, केले का पत्ता,शमी पत्र, धतूरा फल, धतूरा के फूल,कलावा, दूर्वा, अबीर, सफेद चंदन, कुमकुम, आक के फूल, फल, गाय की घी, कपूर, धूप, मिट्टी या पीतल का दीपक, पंचामृत, मिठाई, पीतल के लोटे में जल, हरियाली तीज व्रत कथा की किताब
हरियाली तीज 2024 पूजा विधि (Hariyali Teej 2024 Puja Vidhi)
सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद हाथों में एक फूल, अक्षत लेकर शिव -पार्वती का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें और इन्हें भोलेनाथ को अर्पित कर दें। इसके बाद पूजा आरंभ करें। सबसे पहले साफ जगह से उठाई गई मिट्टी से गणेश जी के साथ शिव जी और मां पार्वती की मूर्ति बनाएं। अगर आप मूर्ति बनाने में असफल है, तो आप तस्वीर रखकर भी पूजा कर सकती हैं। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी में लाल या फिर पीला रंग का कपड़ा बिछाकर मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। सबसे पहले जल से आचमन करें। इसके बाद वस्त्र आदि अर्पित करें। फिर फूल, माला, सिंदूर, सफेद चंदन, कुमकुम आदि चढ़ाने के साथ माता पार्वती को सोलह श्रृंगार चढ़ाएं। फिर षोडशोपचार विधि से पूजा आरंभ करें। शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करने के बाद बेलपत्र, शमी पत्र, धतूरा, भांग, आक, कनेर और धतूरा का फूल और मां पार्वती को मंदार या लाल कनेर का फूल और गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें। इसके बाद मौसमी फल, मिठाई आदि भोग में चढ़ाएं। फिर घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत पूजा करने के साथ आरती कर लें। अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें। दिनभर व्रत रखने के बाद चंद्रोदय के समय दोबारा पूजा करने के साथ हरियाली तीज व्रत कथा (Hariyali Teej Vrat Katha) का पाठ करें या फिर सुनें। इसके बाद रात भर जागरण करें और चतुर्थी तिथि को स्नान आदि करने के बाद शिव-पार्वती जी की दोबारा पूजा करने के साथ व्रत खोल लें।
मां पार्वती को इस मंत्र के साथ सिंदूर करें अर्पित
हरियाली तीज के दिन मां पार्वती को सिंदूर चढ़ाना काफी शुभ माना जाता है। इसलिए मां पार्वती को सिंदूर चढ़ाते समय बोले ये शब्द
सिंदूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिंदूरं प्रतिगृह्यताम्।।
हरियाली तीज में करें इस मंत्र का जाप (Hariyali Teej 2024 Mantra)
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ऊं पार्वत्यै नमः
ऊं उमाये नमः
हरियाली तीज आरती (Hariyali Teej Aarti)
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।। जय पार्वती माता।।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय पार्वती माता।।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा।
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।। जय पार्वती माता।।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता।।
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।।
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।। जय पार्वती माता।।
शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता।
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।। जय पार्वती माता।।
सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता। जय पार्वती माता।।
देवन अरज करत हम चित को लाता।
गावत दे दे ताली मन में रंगराता।। जय पार्वती माता।।
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।। जय पार्वती माता।।
डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।