Guru Purnima 2018 Puja Vidhi, Vrat Katha: गुरु का संपूर्ण जीवन हमें बहुमूल्य ज्ञान देने में ही गुजरता है। गुरु अपने हर शिष्य से स्नेह और लगाव रखते हैं। गुरु पूर्णिमा गुरु के इसी आशीर्वाद, प्रेम और त्याग को समर्पित है। इस दिन शिष्य अपने गुरु की अराधना करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में गुरुकुलों में जब विद्यार्थी निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करते तो गुरु पूर्णिमा के दिन ही वे श्रद्धाभाव से गुरु को दक्षिणा देते थे। इसके बाद शिष्य अपने गुरु की आराधना करते थे। ऐसा करने के बाद ही शिष्यों को धर्म ग्रन्थों, वेदों, शास्त्रों तथा अन्य विद्याओं की जानकारी दी जाती थी। कहा जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु के पास जाकर उन्हें वस्त्र, फल-फूल और माला अर्पण करनी चाहिए। मान्यता है कि इस दिन गुरु से मिलने वाला आशीर्वाद शिष्य को अमूल्य ज्ञान प्रदान करता है।
आषाढ़ मास की पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाती है। गुरुजनों के साथ-साथ इस दिन भगवान विष्णु और शिव की भी अराधना की जाती है। इस दिन श्रद्धालु सुबह जल्दी उठते हैं और सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं। इसके बाद वो भगवान शिव या फिर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं और चांद देखने से पहले कुछ भी नहीं खाते। यह व्रत सूर्य के उगने के बाद से ही शुरू हो जाता है और दिनभर चलने के बाद रात को चांद देखने के उपरांत खोला जाता है। कहते हैं कि इस व्रत की दिव्य महिमा है। यदि विधि-विधान से इस व्रत का पालन किया जाए तो यह उत्तम फल मिलता है।
पूजा विधि:
- भगवान विष्णु की अराधना करें।
- घर के दरवाजों को आम के पत्तों से सजाएं।
- भगवान सत्यनारायण की पूजा के लिए वेदी का निर्माण कर उसे सिंदूर, चंदन और कुमकुम से सजाएं।
- भगवान को पुष्पहार समर्पित करें।
- वेदी के दोनों ओर केले के पत्ते लगाएं।
- फल, सूखे मेवे,सुपारी, विभिन्न अनाज के पकवान, पान के पत्ते चढ़ाएं।
- व्रत में चावल, नमक और अनाज से बनी कोई चीज ना खाएं।
- पूजा के अंत में वेदी के सामने खड़े होकर आरती करें और भगवान का आशीर्वाद लें।