Hanuman Janmotsav 2025 Puja Vidhi, Muhurat, Samagri, Mantra, Bhajan, Katha and Aarti in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। यही वजह है कि इस दिन देशभर में हनुमान जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जी का जन्म वानरराज केसरी और माता अंजना के घर चैत्र पूर्णिमा के दिन हुआ था। मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजा, व्रत और श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने से जीवन के सभी दुख-दर्द समाप्त हो जाते हैं और सुख-शांति का वास होता है। हनुमान जी को बजरंगबली, संकटमोचन और अंजनीपुत्र नामों से भी जाना जाता है। इस जयंती पर हनुमान मंत्रों का जाप करना विशेष फलदायी माना गया है। ऐसे में आइए जानते हैं हनुमान जयंती की शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, आरती, कथा सहित अन्य जानकारी…
हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त | हनुमान जी की आरती | हनुमान जी की चालीसा। हनुमान जी के भजन । क्यों चढ़ाया जाता है बजरंगबली को सिंदूर?
हनुमान जयंती 2025 की तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 12 अप्रैल 2025 को सुबह 3 बजकर 21 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन 13 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल हनुमान जयंती 12 अप्रैल, शनिवार को मनाई जाएगी।
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार हनुमान जयंती पर सालों बाद पंचग्रही योग का निर्माण हो रहा है। आज हस्त नक्षत्र में मीन राशि में सूर्य, शनि, शुक्र, बुध और राहु एक साथ रहेंगे।
ज्योतिष के अनुसार, हनुमान जयंती के दिन 11 केले लेकर हर एक में लौंग लगा दें। इसके बाद केलों को हनुमानजी को समर्पित करें और बच्चों में बांट दें। ऐसी मान्यता है कि इससे जीवन में चल रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
जो कोई आवे, अरज लगावे,
सबकी सुनियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
जो कोई आवे, अरज लगावे,
सबकी सुनियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
बजरंग बाला फेरू थारी माला,
संकट हरियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
बजरंग बाला फेरू थारी माला,
संकट हरियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
ना कोई संगी, हाथ की तंगी,
जल्दी हरियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
ना कोई सांगी, हांत की तंगी,
जल्दी हरियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
अर्जी हमारी, मर्ज़ी तुम्हारी,
कृपा करियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
अर्जी हमारी, मर्ज़ी तुम्हारी,
कृपा करियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
रामजी का प्यारा, सिया का दुलारा,
संकट हरियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
रामजी का प्यारा, सिया का दुलारा,
संकट हरियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी न सिर्फ रामायण बल्कि महाभारत में भी दिखाई दिए थे और उनकी भूमिका बहुत ही खास रही थी? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं महाभारत में हनुमान जी की भूमिका की पूरी कथा के बारे में। यहां पढ़ें पूरी खबर...
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
अष्ट सिद्धि, नव निधि के दाता,
दुखिओं के तुम भाग्यविधाता ।
सियाराम के काज सवारे,
मेरा करो उद्धार ॥
पवनसुत विनती बारम्बार ।
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
अपरम्पार है शक्ति तुम्हारी,
तुम पर रीझे अवधबिहारी ।
भक्तिभाव से ध्याऊं तोहे,
कर दुखों से पार ॥
पवनसुत विनती बारम्बार ।
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
जपूँ निरंतर नाम तिहरा,
अब नहीं छोडूं तेरा द्वारा ।
रामभक्त मोहे शरण मे लीजे,
भाव सागर से तार ॥
पवनसुत विनती बारम्बार ।
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार हनुमान जयंती पर सालों बाद पंचग्रही योग का निर्माण हो रहा है। आज हस्त नक्षत्र में मीन राशि में सूर्य, शनि, शुक्र, बुध और राहु एक साथ रहेंगे।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।।
हनुमान जन्मोत्सव पर व्रत करने वाले साधक 13 अप्रैल 2025 को व्रत पारण करेंगे। 13 अप्रैल को सुबह 05:58 बजे के बाद किसी भी समय व्रत का पारण कर सकते हैं।
हं हनुमते नमः:।
नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा
ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
ॐ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।
ॐ महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते. हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये। नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।
हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल: अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते।
हनुमान जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर लें। अगर आज आप व्रत कर रहे हैं तो एक हाथ में फूल और थोड़ा सा अक्षत लेकर हनुमान जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और फिर पूजा शुरू करें। पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल पर एक लकड़ी की चौकी में पर लाल कपड़ा बिछाएं और इसपर भगवान हनुमान की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर जल से आचमन करें, उन्हें गुलाब का फूल या अन्य फूल चढ़ाएं। इसके बाद हनुमान जी को सिंदूर लगाएं, उन्हें उनके प्रिय भोग अर्पित करें। इसके लिए आप बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू, गुड़-भीगे चने की दाल या अपनी श्रद्धा के अनुसार कुछ भी चढ़ा सकते हैं। साथ ही, इस दिन बजरंगबली को तुलसी दल और पान का बीड़ा अवश्य चढ़ाएं। फिर जल चढ़ाने के बाद घी या चमेली के तेल का दीपक, अगरबत्ती, धूप जलाएं। इसके बाद हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान मंत्र आदि का पाठ करें और अंत में हनुमान जी की आरती करें और भूल चूक के लिए माफी मांग लें। फिर दिनभर व्रत रखें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।
हनुमान जन्मोत्सव पर व्रत करने वाले साधक 13 अप्रैल 2025 को व्रत पारण करेंगे। 13 अप्रैल को सुबह 05:58 बजे के बाद किसी भी समय व्रत का पारण कर सकते हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि हनुमान जयंती साल में दो बार क्यों आती है। दरअसल, हनुमान जयंती साल में दो बार, एक चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि पर और दूसरी कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर मनाई जाती है। पहली जयंती उनके जन्म से जुड़ी मानी जाती है, जबकि दूसरी जयंती उन्हें अमरता प्राप्त होने की कथा से जुड़ी है। इसलिए भक्त दोनों ही अवसरों पर बड़े ही श्रद्धा भाव से हनुमान जी की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।।
ज्योतिष के अनुसार, हनुमान जयंती के दिन 11 केले लेकर हर एक में लौंग लगा दें। इसके बाद केलों को हनुमानजी को समर्पित करें और बच्चों में बांट दें। ऐसी मान्यता है कि इससे जीवन में चल रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार हनुमान जयंती पर सालों बाद पंचग्रही योग का निर्माण हो रहा है। आज हस्त नक्षत्र में मीन राशि में सूर्य, शनि, शुक्र, बुध और राहु एक साथ रहेंगे।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
जो कोई आवे, अरज लगावे,
सबकी सुनियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
जो कोई आवे, अरज लगावे,
सबकी सुनियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
बजरंग बाला फेरू थारी माला,
संकट हरियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
बजरंग बाला फेरू थारी माला,
संकट हरियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
ना कोई संगी, हाथ की तंगी,
जल्दी हरियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
ना कोई सांगी, हांत की तंगी,
जल्दी हरियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
अर्जी हमारी, मर्ज़ी तुम्हारी,
कृपा करियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
अर्जी हमारी, मर्ज़ी तुम्हारी,
कृपा करियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
रामजी का प्यारा, सिया का दुलारा,
संकट हरियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
रामजी का प्यारा, सिया का दुलारा,
संकट हरियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
प्रभु मन बसियो रे ।
कीजो केसरी के लाल मेरा छोटा सा यह काम
मेरी राम जी कह देना जय सियाराम
मैं राम संग जपता तुम्हारा सदा नाम
अपने राम जी से कह देना जय सिया राम
दीन हीन के सहारे महावीर तुम हो
अपने भक्तो की जगाते तकदीर तुम हो
हर दुखिया का हाथ तुम लेते हो थाम
मेरे राम जी से कह देना जय सियाराम
महाबली महायोधा महासंत तुम हो
लाते सूखे हुए बागो में बसंत में तुम हो
तेरी भक्ति से आत्मा को मिलता आराम
मेरी राम जी से कह देना जय सियाराम
पूरी सदा ही हमारी हर आस करना
बाबा भक्तो को कभी ना निराश करना
दोनों चरण तुम्हारे हैं ‘लख्खा’ के सुखदाम
मेरी राम जी से कह देना जय सियाराम
पार ना लगोगे श्री राम के बिना,
राम ना मिलेगे हनुमान के बिना।
राम ना मिलेगे हनुमान के बिना,
श्री राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना।
वेदो ने पुराणो ने कह डाला,
राम जी का साथी बजरंग बाला।
जीये हनुमान नही राम के बिना,
राम भी रहे ना हनुमान के बिना।
जग के जो पालन हारे है,
उन्हे हनुमान बड़े प्यारे है।
कर लो सिफ़ारिश दाम के बिना,
रास्ता ना मिलेगा हनुमान के बिना।
जिनका भरोसा वीर हनुमान,
उनका बिगड़ता नही कोई काम।
लक्खा कहे सुनो हनुमान के बिना,
कुछ ना मिलेगा गुणगान के बिना
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
अष्ट सिद्धि, नव निधि के दाता,
दुखिओं के तुम भाग्यविधाता ।
सियाराम के काज सवारे,
मेरा करो उद्धार ॥
पवनसुत विनती बारम्बार ।
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
अपरम्पार है शक्ति तुम्हारी,
तुम पर रीझे अवधबिहारी ।
भक्तिभाव से ध्याऊं तोहे,
कर दुखों से पार ॥
पवनसुत विनती बारम्बार ।
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
जपूँ निरंतर नाम तिहरा,
अब नहीं छोडूं तेरा द्वारा ।
रामभक्त मोहे शरण मे लीजे,
भाव सागर से तार ॥
पवनसुत विनती बारम्बार ।
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
ॐ श्री हनुमते नमः॥
ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि।
तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्।
ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।
ॐ नमो भगवते हनुमते नम:।
शुभ – उत्तम: सुबह 07:35 से 09:10 तक
लाभ – उन्नति: दोपहर 01:58 से 03:34 तक
अमृत – सर्वोत्तम: दोपहर 03:34 से शाम 05:09 तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:56 से दोपहर 12:48 तक
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:29 से 05:14 तक
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
आज पूरे देश में हनुमान जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व भगवान राम के परम भक्त और भगवान शिव के अवतार, हनुमान जी को समर्पित है। पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। आज के दिन हनुमान भक्त अपने प्रभु को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के धार्मिक आयोजन करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन केसरीनंदन की विधिवत पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
महाबलाय वीराय चिरंजीविन उद्दते
हारिणे वज्रदेहाय चोलंघितमहाव्यये॥
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रैं ह्रौं ह्रः हं
हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्॥
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी ही एक ऐसे देवता हैं जो आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जंयती के दिन बजरंगबली की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और बल-बुद्धि की प्राप्ति होती है।
हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र, लाल वस्त्र और लंगोट, लाल फूल और माला, अक्षत (चावल), चंदन, धूप, दीपक (मिट्टी/पीतल), गाय का घी, चमेली का तेल, पान के पत्ते, सुपारी, लौंग, इलायची, बीड़ा, सिंदूर, हनुमान जी का ध्वज, जनेऊ, चरण पादुका, हनुमान चालीसा, शंख, घंटी, नैवेद्य और भोग विशेष रूप से बूंदी के लड्डू आदि।
भद्रा आरंभ- सुबह 06 बजकर 22 मिनट पर
भद्रा समाप्त- शाम 04 बजकर 35 मिनट पर
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम और रावण के बीच में युद्ध चल रहा था, तब रावण की सेना युद्ध हार रही थी। ऐसे में अपनी सेना को इस तरह परास्त होता देख रावण ने अपने मायावी भाई अहिरावण से सहायता मांगी। अहिरावण मां भवानी का बहुत बड़ा भक्त था और उसे तंत्र विद्या काफी ज्ञान था। उसने शक्तियों का इस्तेमाल करके भगवान राम की पूरी सेना को नींद में सुला दिया और भगवान राम और लक्ष्मण जी का अपहरण करके पाताल लोक ले गया। अहिरावण को एक वरदान मिला था कि उसे मारने के लिए पांचों दिशा में जल रहे दीपक एक साथ बुझाने होंगे। तब भगवान राम और लक्ष्मण जी को बचाने के लिए हनुमानजी ने पंचमुखी रूप धारण किया और पांचों दीपकों को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया।
अगर आप घर में पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करना चाहते हैं तो उनकी फोटो या मूर्ति दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाएं।