संकटमोचन भगवान हनुमान की जयंती इस साल 08 अप्रैल को मनाई जा रही है। इस दिन भक्त विधि विधान से श्रीराम भक्त हनुमान की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन बजरंगबली की अराधना से समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। ये पवित्र दिन चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन आता है। हनुमान जयंती पर लोग घर पर तो पूजा करते ही लेकिन इस दिन हनुमान जी के मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन इस बार कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते मंदिरों में भक्त दर्शन के लिए नहीं जा पायेंगे। तो ऐसे में आप घर पर ही विधि विधान से भगवान हनुमान जी की पूजा अराधना करें।
हनुमान पूजन सामग्री: लाल कपडा/लंगोट, जल कलश, पंचामृत, जनेऊ, गंगाजल, सिन्दूर, चांदी/सोने का वर्क, लाल फूल और माला, इत्र, भुने चने, गुड़, बनारसी पान का बीड़ा, नारियल, केले, सरसो का तेल, चमेली का तेल, घी, तुलसी पत्र, दीपक, धूप, अगरबत्ती, कपूर।
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हनुमान जयंती व्रत और पूजा विधि:
– इस दिन भगवान हनुमान को प्रसन्न करने के लिए चौमुखी दीपक जलाएं। इसके अलावा हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।
– हनुमान जी को गेंदे, हजारा, कनेर, गुलाब के फूल चढ़ाएं जबकि जूही, चमेली, चम्पा, बेला इत्यादि फूलों को चढ़ाने से बचें।
– प्रसाद के रूप में मालपुआ, लड्डू, चूरमा, केला, अमरूद आदि का भोग लगाएं।
– घी का दीपक हनुमान जी की प्रतिमा के सामने जलाएं।
– दोपहर तक इस दिन कोई भी नमकीन चीज न खाएं।
– इस दिन हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाने से मनोकामना की शीघ्र पूर्ति होती है|
हनुमान जी के मंत्र:
– ॐ तेजसे नम: पहला मंत्र
– ॐ प्रसन्नात्मने नम: दूसरा मंत्र
– ॐ शूराय नम: तीसरा मंत्र
– ॐ शान्ताय नम: चौथा मंत्र
– ॐ मारुतात्मजाय नमः पांचवां मंत्र
हनुमान जयंती पूजा शुभ मुहूर्त:
हनुमान जयंती- बुधवार, 08 अप्रैल 2020
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 07 अप्रैल 2020 को दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से प्रारंभ
पूर्णिमा तिथि समाप्त – पूर्णिमा तिथि का समापन 08 अप्रैल 2020 बुधवार को सुबह 08 बजकर 04 मिनट पर
पूजा
शुभ मुहूर्त- 08 अप्रैल को सुबह 06:03 बजे से 06:07 बजे के बीच
अगर आप हनुमान जयंती पर किसी हनुमान मंदिर की छत पर लाल झंडा लगाते हैं तो इस उपाय से आपके सभी संकट दूर हो सकते हैं। दुश्मनों पर विजय पाने के लिए आप हनुमान को 5 देशी घी से बने रोट का भोग लगाएं।
ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार हनुमान जयंती देश में अलग-अलग महीनों में मनाई जाती है, लेकिन ये पर्व उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में चैत्र माह की पूर्णिमा पर ही मनाया जाता है। हनुमानजी की आयु एक कल्प होने से वे अमर हैं। ये रुद्रावतार माने जाते हैं। हनुमानजी ब्रह्मचारी के रूप में ही पूजे जाते हैं। इसलिए प्रातः 4 बजे से रात्रि 9 बजे तक उनकी पूजा का विधान है।
हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार माने जाते हैं| उनके जन्म के बारे में पुराणों में जो उल्लेख मिलता है उसके अनुसार अमरत्व की प्राप्ति के लिये जब देवताओं व असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया को उससे निकले अमृत को असुरों ने छीन लिया और आपस में ही लड़ने लगे। तब भगवान विष्णु मोहिनी के भेष अवतरित हुए। मोहनी रूप देख देवता व असुर तो क्या स्वयं भगवान शिवजी कामातुर हो गए। इस समय भगवान शिव ने जो वीर्य त्याग किया उसे पवनदेव ने वानरराज केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया| जिसके फलस्वरूप माता अंजना के गर्भ से केसरी नंदन मारुती संकट मोचन रामभक्त श्री हनुमान का जन्म हुआ|
एक यह भी मान्यता है कि हुनमान जी के पिता वानरराज केसरी कपि क्षेत्र के राजा थे। हरियाणा का कैथल पहले कपिस्थल हुआ करता था। कुछ लोग इसे ही हनुमान जी की जन्म स्थली मानते हैं।
हनुमान जयंती पर हनुमान कवच मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है. अगर आप इस दिन व्रत कर रहे हैं तो दिन में यह मंत्र जपना शुभ कहा गया है...
“ॐ श्री हनुमते नम:”
सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
पवनपुत्र के नाम से प्रसिद्ध हनुमान जी की माता अंजनी और पिता वानरराज केसरी थे। हनुमान जी को बजरंगबली, केसरीनंदन और आंजनाय के नाम से भी पुकारा जाता है। वास्तव में हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हैं, जिन्होंने त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम की भक्ति और सेवा के लिए जन्म लिया। संकटों का नाश करने वाले हनुमान जी को संकटमोचन भी कहते हैं।
“ॐ श्री हनुमते नम:”
सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
हनुमान जी की पूजा में शुद्धता का बड़ा महत्व है। ऐसे में नहाने के बाद साफ-धुले कपड़े ही पहनें। मांस या मदिरा का सेवन न करें। अगर व्रत रख रहे हैं तो नमक का सेवन न करें। हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे और स्त्रियों के स्पर्श से दूर रहते थे. ऐसे में महिलाएं हनुमन जी के चरणों में दीपक प्रज्ज्वलित कर सकती हैं। पूजा करते वक्त महिलाएं न तो हनुमान जी मूर्ति का स्पर्श करें और न ही वस्त्र अर्पित करें।
1. बहुत कम ही लोग इस बात को जानते हैं कि हनुमान जी की पूजा में कभी भी चरणामृत का प्रयोग नहीं किया जाता है।
2. हनुमान जी की पूजा करने वाले भक्त को मंगलवार या हनुमान जयंती के व्रत वाले दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. हनुमान जी की पूजा करते समय काले और सफेद रंग के कपड़े ना पहनें।
4. हनुमानजी की पूजा करते समय ब्रह्राचर्य व्रत का पालन करना आवश्यक होता है।
5. हनुमान जयंती पर खंडित और टूटी हुई मूर्ति की पूजा बिल्कुल ना करें।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रैं ह्रौं ह्रः॥
द्वादशाक्षर हनुमान मंत्र: हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
हनुमान जी का सम्पूर्ण श्रृंगार करवाएं। चांदी के वर्क का प्रयोग न करें। हनुमान जी को रेशम का एक लाल धागा भी अर्पित करें। इसके बाद मंगल के मंत्र "ओम क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः" का जाप करें। लाल धागे को गले में धारण कर लें।
पवनपुत्र हनुमान जी को हलुवा, गुड़ से बने लड्डू, पंच मेवा, डंठल वाला पान, केसर-भात और इमरती बहुत प्रिय है। पूजा के समय उनको आप इन मिष्ठानों आदि का भोग लगाएं, वे अतिप्रसन्न होंगे। काफी लोग उनको बूंदी या बूंदी के लड्डू भी चढ़ाते हैं।
माना जाता है माता अंजनी के उदर से हनुमान जी पैदा हुए। उन्हें बड़ी जोर की भूख लगी हुई थी इसलिये वे जन्म लेने के तुरंत बाद आकाश में उछले और सूर्य को फल समझ खाने की ओर दौड़े उसी दिन राहू भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने के लिये आया हुआ था लेकिन हनुमान जी को देखकर उन्होंने इसे दूसरा राहु समझ लिया। तभी इंद्र ने पवनपुत्र पर वज्र से प्रहार किया जिससे उनकी ठोड़ी पर चोट लगी व उसमें टेढ़ापन आ गया इसी कारण उनका नाम भी हनुमान पड़ा। इस दिन चैत्र माह की पूर्णिमा होने से इस तिथि को हनुमान जयंती के रुप में मनाया जाता है।
430 वर्ष बाद व्यतिपात योग, आनंद योग, सिद्धयोग और सर्वार्थ सिद्धि योग में आज हनुमान जयंती मनाई जाएगी। लॉकडाउन के चलते इस बार हनुमान जयंती पर होने वाले सभी कार्यक्रम रद कर दिए गए हैं। आठ अप्रैल को बजरंगबली के ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था मंदिरों में की गई है। मंदिर के प्रबंधकों ने भी कहा है कि कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण लोग अपने घर में हनुमान जन्मोत्सव मनाएं
ऐसी मान्यता है कि हुनमान जी के पिता वानरराज केसरी कपि क्षेत्र के राजा थे। हरियाणा का कैथल पहले कपिस्थल हुआ करता था। कुछ लोग इसे ही हनुमान जी की जन्म स्थली मानते हैं।
Hanuman Chalisa Lyrics and Aarti in Hindi: हनुमान चालीसा का पाठ बेहद ही फलदायी माना गया है। कहा जाता है कि इसके पाठ से भय का नाश हो जाता है। खास तौर से हनुमान जयंती के दिन इसे करने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं। कई लोग इस दिन हनुमान जी के मंदिरों में जाकर पूजा कर हनुमान चालीसा पढ़ते हैं। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के कारण घर पर ही आपको हनुमान जी की विधि विधान पूजा करनी होगी। यहां देखें हनुमान चालीसा संपूर्ण…
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।।
भक्तों के लिए हनुमान जयंती का खास महत्व है. संकटमोचन हनुमान को प्रसन्न करने के लिए भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. मान्यता है कि इस दिन पांच या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से पवन पुत्र हनुमान प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. इस मौके पर मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ का आयोजन होता है. घरों और मंदिरों में भजन-कीर्तन होते हैं. हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सिंदूर चढ़ाया जाता है और सुंदर कांड का पाठ करने का भी प्रावधान है. शाम की आरती के बाद भक्तों में प्रसाद वितरित करते हुए सभी के लिए मंगल कामना की जाती है. श्री हनुमान जयंती में कई जगहों पर मेला भी लगता है.
- हनुमान जयंती के दिन सुबह-सवेरे उठकर सीता-राम और हनुमान जी को याद करें.
- स्नान करने के बाद ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें.
- इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा में हनुमान जी की प्रतिमा को स्थापित करें. मान्यता है कि हनुमान जी मूर्ति खड़ी अवस्था में होनी चाहिए.
- पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें: 'ॐ श्री हनुमंते नम:'.
- इस दिन हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं.
- हनुमान जी को पान का बीड़ा चढ़ाएं.
- मंगल कामना करते हुए इमरती का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है.
- हनुमान जयंती के दिन रामचरितमानस के सुंदर कांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.
- आरती के बाद गुड़-चने का प्रसाद बांटें.
इस दिन हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, श्रीराम स्तुति का पाठ करें। पूजा के समय आप हनुमान कवच मंत्र की एक माला का जाप करें। इससे आपके सभी संकटों का समाधान हनुमान जी करेंगे। अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र का जाप करें।