हिंदू धर्म में हलहारिणी अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। क्योंकि इस दिन किसान हल और खेती में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं और भगवान से अच्छी पैदावार के लिए प्रार्थना करते हैं। इसको आषाण की अमावस्या भी कहा जाता है। इस साल हरहारिणी अमावस्या 28 जून को पड़ रही है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अमावस्या का दिन पितरों का होता है, इसलिए इस दिन पितृ दोष के लिए उपाय करना भी बहुत कारगर माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन पितरों के लिए उपाय करने से बहुत जल्द पितृ दोष से मुक्ति पाई जा सकती है। बताया जाता है कि अमावस्या की तिथि पूरी तरह से पितरों को समर्पित होती हैं। आइए जानते हैं हलहारिणी अमावस्या का महत्व और पितृ दोष के उपाय…
हलहारिणी अमावस्या का महत्व:
ज्योतिष शास्त्र में हलहारिणी अमावस्या पर दान-स्नान और पितरों के श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन धरती माता की भी पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन किसान हल की भी पूजा करते हैं और नए पौधे लगाते हैं। वहीं इस दिन स्नान, पितृ तर्पण और अर्घ्य देने से पितृगण और सूर्यदेव भी प्रसन्न होते हैं।
हलहारिणी अमावस्या का शुभ मुहूर्त:
ज्योतिष पंचांग के अनुसार हलहारिणी अमावस्या के दिन सुबह 9 बजकर 11 मिनट से लेकर 10 बजकर 59 मिनट तक अमृत काल रहेगा। साथ ही इसके बाद सुबह 11 बजकर 35 मिनट से लेकर 12 बजकर 28 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। इन दोनों ही मुहूर्तों में पूजा करना शुभ रहेगा।
ये करें उपाय:
1- आषाढ़ अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान जरूर करें। यदि ऐसा संभव न हो तो नहाने के पानी में पवित्र नदी का जल मिलाकर स्नान करें।
2- अमावस्या तिथि के दिन दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करें। कहा जाता है कि अमावस्या तिथि पर किसी भी तिथि पर गुजरे हुए पितरों के लिए पितरों के लिए तर्पण किया जा सकता है।
3-सुबह स्नान करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं। उसके बाद किसी पास के तालाब या नदी के पास जाकर इन गोलियों को मछलियों को खिलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से आपके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।
4- इस दिन काली चींटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं। ऐसा करने से आपके पाप कर्म का क्षय होगा एवं मनोकामना पूरी होंगी।
5- इस दिन अपने पितृों का नाम का ब्राह्मणों को भोजन कराएं। साथ ही उन्हें वस्त्र और दक्षिणा देकर विदा करें।