Haj Arkan 2024: दुनियाभर से लाखों की तादाद में इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग हज के लिए सऊदी अरब के मक्का शहर पहुंच चुके हैं। हज शब्द का मतलब अरबी ज़बान में जियारत करना होता है। हज में चूंकि हर तरफ से लोग काबा की जियारत का इरादा करते हैं, इसलिए इसका नाम हज रखा गया। कहा जाता है कि हर एक मुसलमान से अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार हज जाना चाहिए, बशर्ते कि वे आर्थिक और शारीरिक रूप से ऐसा करने में सक्षम हों। आइए जानते हैं  कैसे किया जाता है हज…

हज से जुड़ी जरूरी बातें (हज के अरकान)

आसान शब्दों में कहें तो हज का तरीका बहुत आसान नहीं है। इसे करने के कई अलग-अलग तरीके हैं और इस्लामी विचारधारा के कई स्कूल हैं, जो अलग-अलग तरीके पेश करते हैं।  हज करने में शामिल स्टेप्स के बारे में हम आपको बता रहे हैं।

1- एहराम बांधना

एक हज करने वाले शख्स के लिए जरूरी है कि सबसे पहले  वह  एहराम बांधे। एक ऐसा बिना सिला हुआ सफ़ेद कपड़ा जो हर तरह से पाक-साफ हो। सभी हाजी आठवीं जुल-हिज्जा को एहराम बांधते हैं। इसको पहनने के बाद हर तरह के गलत काम, झूठ बोलना, चोरी करना, किसी का दिल दुखाना, यौन संबंध आदि सख्त मना होता है।

2- मीना पहाड़ की तरफ बढ़ना

हज करने वाले तमाम लोग 8वीं, 11वीं और 12वीं जिल हिज्जा की रातें मीना में बिताते हैं। मीना में ज्यादातर समय प्रार्थना और अल्लाह को याद करने में व्यतीत होता है।

3- अराफात

अराफात का दिन न केवल हज का बल्कि इस्लामी कैलेंडर का भी सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। मीना से 14.4 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद, हाजी यहां दुआएं करते हैं।

4- मुजदलिफा में कंकड़ इक्कठा करना

अराफ़ात से लोग मुजदलिफा की ओर बढ़ते और रात यहीं बिताते हैं। कई लोग अगले दिन की रस्मों के लिए यहां कंकड़ इकट्ठा करना शुरू देते हैं। हज यात्री अगले दिन की शुरुआत मुजदलिफा से करते हैं और  मीना की ओर वापस लौटना शुरू कर देते हैं। मीना में एक बार, वे जमरात नाम के तीन स्तंभों में से सबसे बड़े पर सात कंकड़ फेंकते हैं। इस परंपरा के मुताबिक शैतान पत्थर मारा जाता है।

5- रामी अल-जमारात

इस दिन की शुरुआत मुजदलिफा में प्रार्थना शुरू करने के साथ शुरू होती है। मीना वापस लौटने से पहले रमी अल-जमरात करते हैं।जिसे शैतान को पत्थर मारना भी कहा जाता है। इसमें  जमरात अल-अकाबा पर 7 पत्थर मारे जाते हैं, जो शैतान का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन स्तंभों में से सबसे बड़ा होता है।

6- ईद-उल-अज़हा

हज का तीसरा दिन जुल-हिज्जा का 10वां दिन भी है, जिससे ईद-उल-अजहा कहा जाता है। इस दिन जानवरों की कुर्बानी दी जाती है।

7- अलविदा तवाफ़

जुल हिज्जा के 12वें या 13वें दिन मक्का छोड़ने से पहले, तीर्थयात्री अंतिम तवाफ़ करते हैं। इसे ‘तवाफ़ अल-वादा’ के नाम से जाना जाता है,  मीना में से लौटकर हाजी मक्का आते हैं और काबा का आखिरी तवाफ़ करते हैं। इसके साथ ही हज यात्रा पूरी करने के साथ पवित्र काबा की परिक्रमा करते हैं। 

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