हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने पूर्णिमा आती है। लेकिन आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा इनमें अपना विशेष महत्व रखती है। इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा से जुड़ा बड़ा ही दिलचस्प इतिहास है। ऐसा कहा जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। व्यास जी संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे। शास्त्रों के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने चारों वेदों की रचना की थी। इसी कारण से उनका नाम वेदव्यास पड़ा था। माना जाता है कि गुरु पूर्णिमा का दिन इन्हीं को समर्पित किया गया है। वेदव्यास जी को आदिगुरु के नाम से भी जाना जाता है। मालूम हो कि गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसकी वजह भी उपरोक्त वर्णन ही है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व: बता दें कि गुरु पूर्णिमा का हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि गुरु के बिना व्यक्ति का जीवन ही निरर्थक है। गुरु के बिना व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती और ज्ञान के बिना जीवन अंधकारमय हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। यानी कि समाज के बिना मनुष्य के अस्थित्व की कल्पना ही नहीं की जा सकती है लेकिन वह गुरु ही होता है जो हमें इस समाज के रहने के योग्य बनाता है।

Guru Purnima 2018: जानिए कब है गुरु पूर्णिमा और क्यों कहा जाता है इसे व्यास पूर्णिमा

गुरु के मार्गदर्शन के बिना हम समाज में रहना नहीं सीख पाते। गुरु के बिना हम यह नहीं सीख पाते कि समाज की बुराइयों को दूर करने में हम कैसे अपना योगदान दे सकते हैं। उल्लेखनीय है कि मां को भी गुरु का दर्जा दिया गया है। ऐसे में गुरु पूर्णिमा के दिन हम सबको अपने गुरुओं को याद करना चाहिए। कहते हैं कि इन दिन हमें यह विचार करना चाहिए कि हमारे जीवन में किन गुरुओं का योगदान है। और हमें अपने गुरुओं की सेवा करनी चाहिए।