हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन ज्ञान देने वाले गुरु की पूजा की जाती है। हम सबके जीवन में गुरु का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि गुरु ही हमें अज्ञानता और अंधकार से बचाता है और सही राह प्रदान करता है। बता दें कि हिंदू धर्म में प्रत्येक महीने ही पूर्णिमा आती है। लेकिन गुरु पूर्णिमा इनमें अपना विशेष महत्व रखती है। साल 2018 की गुरु पूर्णिमा 27 जुलाई यानी शुक्रवार को पड़ रही है। ऐसे में यह शुक्रवार हम सभी को अपने गुरु के प्रति अपना आभार जताने का मौका लेकर आएगा।

ऐसा कहा जाता है कि भले ही माता-पिता बच्चे को जन्म देते हों तो गुरु ही उस बच्चे को जीवन का सही अर्थ समझाता है। गुरु की देखरेख में ही बालक शिक्षा-दिक्षा हासिल करता है और अपने जीवन को समाज कल्याण के लिए लगा देता है। गुरु से ही बच्चे को जीवन की कठिन राहों पर चलने की सीख मिलती है। गुरु की सीख हासिल करने के बाद ही बालक कर्मयोगी बनता है और अपने कार्यों से समाज का भला करता है। मालूम हो कि हिंदू धर्म में गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर रखा गया है। कहते हैं कि एक बालक के लिए उसका गुरु भगवान से भी बढ़कर होता है।

Guru Purnima 2018: जानिए क्या है गुरु पूर्णिमा का इतिहास और इसका महत्व

गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि व्यास जी ने ही वेदों का विस्तार किया। वेदव्यास ने 6 शास्त्रों एवं 18 पुराणों की रचना की। वेदव्यास जी ने गुरु के सम्मान में विशेष पर्व मनाने के लिए आषाढ़ मास की पूर्णिमा को चुना। इसी कारण इस गुरु पूर्णिमा को ‘व्यास पूर्णिमा’ भी कहते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इसी दिन व्यास जी ने अपने शिष्यों और मुनियों को सबसे पहले श्री भागवत पुराण का ज्ञान दिया था। इस वजह से भी इस दिन को ‘व्यास पूर्णिमा’ कहा जाता है।