हिन्दू धर्म में नवरात्रि को देवी दुर्गा की आराधना के लिए शुभ माना जाता है। पूरे साल में चार चार नवरात्रि पड़ते हैं। जिसमें से दो नवरात्रि को प्रायः सभी लोग जानते हैं और करते हैं। लेकिन बाकी जो दो नवरात्रि होती हैं वो गुप्त होती है। इन दो गुप्त नवरात्रि में से एक माघ मास में यानि जनवरी या फरवरी में आती है। साथ ही दूसरी गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास में यानि जून या जुलाई में आती है। साल 2019 की माघ गुप्त नवरात्रि 5 फरवरी, मंगलवार से शुरू हो रही है जो 14 फरवरी तक चलेगी।
पूजा विधि: नवरात्रि की पूजा करने के लिए आपको सुबह-सवेरे जल्दी उठना चाहिए, हो सके तो सूरज उगते ही आप उठ जाएं। ये समय नवरात्रि पूजा के लिए एकदम सही माना गया है। नहाएं और साफ, धुले हुए कपड़े पहनें, अखंड ज्योत जलाएं और धूप-दीप को देवताओं के बाईं तरफ और दाईं तरफ अगरबत्ती रखें, पूरे मन से देवी शक्ति का स्मरण करें। साथ ही कलश और नारियल भी पूजाघर में रखें। आसन बिछाकर, कमर सीधी कर भगवान के आगे बैठें। घंटी बजाते हुए शंख बजाएं।
नवरात्रि पूजा के लिए सामग्री: पूजाघर में मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति रखें, दुर्गा मां के लिए साड़ी या दुपट्टा, दुर्गा सप्तशती किताब, कलश में साधारण पानी या गंगा जल, ताजी और धुली हुई आम की पत्तियां, ताजा हरी घास, चंदन, एक नारियल, रोली (तिलक के लिए लाल पाउडर), मोली (लाल धागा बांधने के लिए), चावल, सुपारी, पान के पत्ते, लौंग, इलायची, कुमकुम (सिंदूर), गुलाल, अगरबत्ती, दीप-धूप और माचिस, ताजा लाल गुलाब और जैसमिन के फूल, पेड़ा या लड्डू (ताजी मिठाई प्रसाद के लिए), एक आसन (बैठने के लिए चादर, दरी या चटाई)।
कलश स्थापना: कलश को ठीक शक्तिस्वरूपा के सामने रखें और इसमें शुद्ध जल या गंगाजल डालें। कलश के मुख पर आम की पत्तियां और उसके ऊपर नारियल रखें। कलश की गर्दन पर मोली बांधे और पूजाघर में गंगाजल छिड़कें। चंदन पाउडर और ताजी घास देवी के सामने रखें, साथ ही साड़ी या दुपट्टा भी रखें। ताजे फूलों को भगवान को अर्पण करें, इसके बाद लौंग के साथ पान चढ़ाएं। अगर आप शादीशुदा हैं तो ऐसे दो पान चढ़ाएं और अगरबत्ती जलाएं। इस मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः’ का उच्चारण करते हुए हवन करें और 11 बार आहूति दें। हाथ जोड़ें और भगवान से प्रार्थना करें। आखिर में भगवान को प्रसाद का भोग चढ़ाएं और दुर्गा मां की आरती करें। दुर्गा सप्तशती के 13वें अध्याय में दी हुईं ‘क्षमा प्रार्थना’ गाएं और पूजा का समापन करें। पूरे दिल से प्रार्थना करें। इसके बाद बहुत ध्यान से आदर सहित दुर्गा सप्तशती किताब को पूजाघर में रख दें।
