‘गुड फ्राइडे’ के दिन भगवान ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाए जाने के बाद ईस्टर संडे ईसाई धर्म के लोगों के लिए खुशियां लेकर आता है। क्योंकि, ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान ईसा मसीह फिर से जीवित हो उठे थे। ‘गुड फ्राइडे’ के तुरंत बाद पड़ने वाले रविवार को ईस्टर संडे सेलिब्रेट किया जाता है। ईसाई धर्म के लोग ईस्टर के दिन को बेहद ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। दोबारा जीवित होने के बाद ईशा मसीह करीब 40 दिनों तक धरती पर रहे और अपने शिष्यों को प्रेम का पाठ पढ़ाया था।

बाद में ईसा मसीह स्वर्ग चले गए थे। ईस्टर के दिन ईसाई धर्म के लोगों मे एक-दूसरे को अंडे देने का विशेष महत्व है। इस दिन लोग रंग-बिरंगे और अलग-अलग कलाकृतियों के अंडे अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को गिफ्ट के रूप में देते हैं। ईस्टर के दिन लोग चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं और मोमबत्तियां जलाते हैं। इस दिन लोग शत्रुता भुलकार एक-दूसरे को क्षमा करते हैं।

क्यों दिए जाते हैं रंग-बिरंगे अंडे: ईस्टर के दिन अंडे देने का खास महत्व होता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग-बिरंगे और सजे हुए अंडे गिफ्ट करते हैं। इसके पीछे की मान्यता है कि अंडे नए जीवन का संदेश होते हैं और साथ ही यह अच्छे दिनों की शुरुआत का संकेत भी होते हैं। दरअसल, इसाई धर्म के लोगों का मानना है कि अंडे में से जिस तरह एक नया जीवन उत्पन्न होता है, वैसे ही ईस्टर के दिन लोग एक-दूसरे को नई शुरुआत का संदेश देते हैं।

 

क्यों मनाया जाता है ईस्टर: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ईसा मसीह के दोबारा जीवित होने के बाद उन्होंने उन सभी लोगों को माफ कर दिया था, जिन्होंने उन्हें कष्ट दिया था। इसलिए इस दिन लोग प्रभु से अपने पापों की क्षमा मांगते हैं। बता दें, हजारों साल पहले ‘गुड फ्राइडे’ के मौके पर ईसा मसीह को क्रॉस पर लटका दिया गया था और उन्हें कई तरह की शारिरिक यातनाएं दी गई थीं।

 

उनके हाथों में कीलें ठोक दी गई थीं। हालांकि, तमाम यातनाएं सहने के बाद भी ईसा मसीह ने सभी को माफ करते हुए अपना शरीर त्याग दिया था। इसलिए जिस दिन ईसा मसीह ने अपना शरीर त्यागा था, उस दिन को लोग ‘गुड फ्राइडे’ के रूप में मनाते हैं। जिसके बाद ईसा मसीह के शरीर को कब्र में सुरक्षित रखा गया था और रविवार के दिन भगवान पुन: जीवित हो गए थे।