Gilharaj Hanuman Mandir In Aligarh: हनुमान जी के लाखों मंदिर देश के कोने-कोने में स्थित है। हर एक मंदिर का अपना-अपना महत्व है। मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी इकलौते भगवान है जो अभी भी जीवित है। इसी के कारण वह अपने भक्तों की कामना जल्द पूरी कर देते हैं। हनुमान जी के अनेकों रहस्यों से भरे मंदिर है। इन्हीं मंदिरों में से एक है गिलहराज मंदिर। जहां पर हनुमान जी एक गिलहरी के रूप में विराजमान है। जानिए गिलहराज हनुमान मंदिर के बारे में सबकुछ।

कहां स्थित है गिलहराज हनुमान मंदिर?

गिलहराज मंदिर उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में अचल सरोवर के किनारे स्थित है। अलीगढ़ में सैकड़ों हनुमान मंदिर है, लेकिन गिलहराज मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तलक है।

गिलहराज हनुमान मंदिर में भगवान की मूर्ति

बता दें कि  गिलहराज जी हनुमान मंदिर में बजरंगबली गिलहरी के रूप में विराजमान हैं। यहां पर स्थापित मूर्ति में भगवान के एक ही आंख के दर्शन होते हैं।

गिलहराज हनुमान मंदिर (Photo- Instagram/shri_gilahrajji)

गिलहराज हनुमान मंदिर का इतिहास

अभी तक इस बात का पता नहीं चल पाया है कि आखिर ये मंदिर कितने साल पुराना है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि  पवित्र धनुर्धर ‘श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज’ जी को हनुमान जी ने एक सपना दिया था। जिसमें उन्होंने कहा कि था कि अचल ताल में मैं निवास करता हूं और मेरी पूजा यहीं पर करें। इस सपने के देखते ही योगी जी ने अपने शिष्य को खोज करने के लिए कहा। जहां वह हनुमान जी की मूर्ति ढूंढ रहे थे, तो उन्हें एक जगह पर खूब सारी गिलहरियां निकली। जब उस जगह को खोदा गया, तो वहां पर हनुमान जी के गिलहरी स्वरूप में मूर्ति मिली। शिष्य ने अपने गुरु को ये बात बताई।  तब महेंद्रनाथ योगी जी महाराज अचल ताल आ गए और उन्होंने उसी स्थान पर एक मंदिर की स्थापना की।

बलदाऊ जी ने की थी यहां पर पूजा

मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण के भाई बलदाऊ ने भी अचल ताल आकर भगवान हनुमान के इस स्वरूप की पूजा की थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये मंदिर कितना प्राचीन है।

भगवान गिलहराज करते हैं हर मुश्किल दूर

बता दें कि गिलहराज मंदिर का एक और नाम है ग्रह-हर-राज भी है। इस नाम को लेकर मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान हनुमान की पूजा करता है। उसे नौ ग्रहों के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।