Lajward Gemstone: रत्न शास्त्र में 84 उपरत्न और 9 रत्नों का वर्णन मिलता है। इनमें से हर रत्न पर किसी न किसी ग्रह का आधिपत्य होता है। साथ ही थ ही रत्नों में मानव जीवन को सुखमय, उल्लासपूर्ण बनाने की अप्रतिम क्षमता भी है। आज हम जिस रत्न की बात करने जा रहे हैं उसका नाम है लाजवर्त, जो राहु, शनि और केतु तीनों ग्रहों को मजबूत करता है। साथ ही अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में यह नकारात्मक विद्यमान हैं तो उनके प्रभाव को दूर करता है। आइए जानते हैं लाजवर्त को धारण करने के लाभ और पहनने की सही विधि…
जानिए कैसा होता है लाजवर्त:
राजवर्त नीले रंग का होता है और इस पर गोल्डल कलर की धारियां भी होतीं हैं। साथ ही ये बाजार में आसानी से मिल जाता है। ये रत्न अफगानिस्तान, यूएसए और सोवियत रूस में भी पाया जाता है।
कौन लोग कर सकते हैं धारण:
रत्न शास्त्र अनुसार जिन जातकों की जन्मकुंडली में शनि सकारात्मक (उच्च) के विराजमान हो, वो लोग लाजवर्त को पहन सकते हैं। साथ ही मकर और कुंभ राशि, लग्न वाले लाजवर्त धारण कर सकते हैं। वहीं अगर कुंडली में राहु- केतु सकारात्मक (उच्च) के स्थित हों तो भी लाजवर्त पहना जा सकता है। अगर कुंडली में शनि और राहु नीच के अशुभ स्थित हों तो लाजवर्त को धारण न करें। साथ ही मंगल ग्रह भी अगर कुंडली में नकारात्मक स्थित है तो भी लाजवर्त धारण करने से बचें।
जानिए लाजवर्त धारण करने के लाभ:
रत्न शास्त्र के अनुसार लाजवर्त को पहनने से मानसिक क्षमता का विकास होता है। नकारात्मक चीजें दूर रहती हैं। कार्यक्षेत्र और कारोबार में सफलता मिलती है। यह रत्न दुर्घटनाओं से बचाता है। इस रत्न को धारण करने से पितृ दोष शांत होने की भी मान्यता है। नौकरी में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है। (यह भी पढ़ें)- 30 साल बाद शनि देव कुंभ राशि में करेंंगे गोचर, इन 3 राशि वालों को व्यापार और करियर में हो सकता है जबरदस्त धनलाभ
इस विधि से करें लाजवर्त धारण:
लाजवर्त को शनिवार के दिन चांदी की अंगूठी या लॉकेट में बनवाकर पहनना चाहिए। इस रत्न की माला और ब्रेसलेट भी पहना जा सकता है। इसे दायें हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करना बताया गया है। इसे धारण करने से पहले सरसों या तिल के तेल में पांच घंटे पहले डुबोकर रखें। इसके बाद नीले कपड़े पर रखकर ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: मंत्र की एक माला जाप करें। धूप-दीप, नैवेद्य कर इसे कपड़े से पोंछकर सूर्यास्त के बाद समय इसे धारण करें। (यह भी पढ़ें)- Gudi Padwa 2022: कब है गुड़ी पड़वा, क्यों मनाते है यह पर्व? जानिये इससे जुड़ी 10 दिलचस्प बातें