Manik Stone: रत्न शास्त्र अनुसार व्यक्ति को रत्नों और उपरत्नों का चुनाव बहुत ही सावधानीपूर्वक से करना चाहिए। आपको बता दें कि रत्न केवल शोभा बढ़ाने का साधन नहीं है बल्कि उनमें अलौलिक शक्ति का समावेश होता है। वहीं कुछ लोग रत्न को शौक- शौक में धारण कर लेते हैं, जो कि गलत है। क्योंकि रत्न को हमेशा कुंडली का विश्लेषण कराकर ही धारण करना चाहिए। जिससे उस रत्न से संबंधित ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त हो सके। आपको बता दें कि वहीं कभी भी मारक, बाधक, नीच या अशुभ ग्रह का रत्न नहीं पहनना चाहिए। साथ ही रत्न हमेशा शुभ ग्रह यदि अस्त है या निर्बल है तो उसका पहनना चाहिए। ताकि उस ग्रह के असर को बढ़ाकर शुभ फलों में बढ़ोतरी की जा सके।
आज हम बात करने जा रहे हैं माणिक्य रत्न के बारे में, जिसको ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह का रत्न माना गया है। ज्योतिष में भगवान सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है। साथ ही सूर्य को मान- सम्मान और प्रतिष्ठा का कारक माना गया है। आइए जानते हैं माणिक्य धारण करने के लाभ और पहनने की सही विधि…
माणिक्य धारण करने के लाभ:
माणिक्य धारण करने से व्यक्ति को मान- सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। साथ ही माणिक्य पहनकर सूर्य उपासना करने से सूर्य की पूजा का फल दोगुना हो जाता है। साथ ही माणिक्य धारण करने से सूर्य प्रभावित रोग( ह्रदय रोग, आंख के रोग, पित्त विकार) रोगों से मुक्ति मिलती है। सरकारी क्षेत्र में जो लोग कार्यरत हैं, उन लोगों को भी माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए। माणिक्य रत्न धारण करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
जानिए किन को करता है माणिक्य सूट:
-मेष, सिंह और धनु लग्न के जातक माणिक्य पहन कर सकते हैं।
-कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न में माणिक्य साधारण परिणाम व्यक्ति को देता है।
-अगर जातक को ह्रदय और नेत्र रोग है तो भी वह माणिक्य धारण कर सकता है।
-अगर धन भाव, दशम भाव, नवम भाव, पंचम भाव, एकादश भाव में सूर्य उच्च के स्थित हैं तो भी माणिक्य धारण कर सकते हैं।
– साथ ही कुंडली में अगर सूर्य देव कमजोर स्थित हों तो भी माणिक्य धारण कर सकते हैं। साथ ही अगर सूर्य देव उच्च के या स्वराशि स्थित हैं तो भी आप माणिक्य धारण कर सकते हैं। माणिक्य धारण करने से आपके सूर्य देव मजबूत होंगे और आपको आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
ऐसे करें माणिक्य धारण:
-माणिक्य गुलाबी या लाल रंग का अच्छी क्वालिटी का माना जाता है।
-माणिक्य का वजन कम से कम 6 से सवा 7 रत्ती का होना चाहिए।
-तांबा या सोने के धातु में माणिक्य को धारण करना सबसे शुभ माना जाता है।
-सूर्योदय होने के एक घंटे बाद माणिक्य रत्न को धारण कर सकते हैं।
-माणिक्य धारण करने से पहिले अंगूठी को गाय के दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें। उसके बाद मंदिर के सामने बैठकर एक माला सूर्य देव के मंत्र ऊं सूर्याय नम: का जाप करें। साथ ही सूर्य ग्रह से संबंधित कुछ दान निकालकर मंदिर में किसी पुजारी को चरण स्पर्श करके देकर आएं और फिर अंगूठी को धारण करें।