रत्न शास्त्र के मुताबिक मोती सादगी, पवित्रता व शीतलता का प्रतीक है। प्राचीन काल से आभूषण में मोती का प्रयोग होता आया है। वर्तमान समय में भी मोती का उपयोग अंगूठी और गहने में किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मोती(Pearl) चन्द्रमा का रत्न है। जिस इंसान की जन्म कुंडली में शुभ भावों का अधिपति चन्द्रमा हो तो ऐसे जातक को मोती धारण करना चाहिए। पर्ल एक फ्रेंच शब्द है, यह समुंद्र में सीपियो में बनता है, जो प्रायः गोलाकार होता है।

ज्योतिष और रत्न शास्त्र में सफेद चमकदार और गोल मोतियों को गुणवत्तापूर्ण माना जाता है। मोती दो प्रकार के होते हैं एक जो खारे जल में निर्मित होता है और दूसरा ताजा जल में निर्मित होने वाला। यह सिर्फ सफेद रंग में ही नहीं, अपितु काले, गुलाबी, हल्के पीले आदि रंग में भी पाए जाते हैं।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण की बात करें तो यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा अपने शुभ प्रभाव के साथ गोचर करता है, तो ऐसे जातकों को मोती अवश्य धारण करना चाहिए, ताकि चंद्र की कृपा दृष्टि बनी रहे और दिन प्रतिदिन चंद्रमा का शुभ प्रभाव बढ़ता रहे। मोती धारण करने से जातक के जीवन में रिश्तो में मधुरता, प्रेम -भाव व सम्मान बरकरार रहता है।

मोती धारण करने की सही विधि

मोती कम से कम 5 से 8 कैरेट का होन चाहिए, चांदी की अंगूठी में जड़ित मोती को किसी भी शुक्लपक्ष के पहले सोमवार को सूर्योदय के बाद अंगूठी का दूध, गंगा जल, शक्कर और शहद से स्नान कराने के पश्चात चंद्र देव से प्रार्थना कर अंगूठी को निकाल कर ॐ सों सोमाय नम: का 108 बार जप करते हुए अंगूठी को शिवजी के चरणों से लगाकर कनिष्टिका ऊँगली में धारण करें।

बता दें कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मोती अपना प्रभाव 4 दिन में देना आरम्भ कर देता है और लगभग 2 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है। 2 वर्ष के बाद पुनः नया मोती धारण करना चाहिए।

मोती धारण से मिलने वाला लाभ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मोती धारण करने से व्यक्ति मानसिक रूप से शांत एवं कुशाग्र बुद्धि वाले व्यक्तित्व का हो जाता है। यह स्वास्थ्य संबंधी विकारों को समाप्त करने में भी सिद्धकारी हैं। इसके अलावा मोती धारण करने वाले जातकों का आत्मविश्वास में वृद्धि करता है तथा मान-सम्मान को बढ़ाने का कारक बनता है। साथ ही कई जातकों के लिए मोती आर्थिक तंगी को दूर करने में भी लाभकारी सिद्ध होता है।

अपने लिए सही रत्न की जानकारी हो जाने के बाद रत्नों को धारण करने की सही विधि क्या है और इन्हें धारण करने के लिए सबसे अच्छा और शुभ दिन कौन सा है यह जानना आवश्यक है।

  • नीलम (Blue Sapphire): शनिवार – मध्यमा अंगुली (Middle finger)
  • पन्ना (Emerald): बुधवार – कनिष्ठिका अंगुली (Little finger)
  • हीरा (Diamond): शुक्रवार- अनामिका अंगुली (Ring finger)
  • सफेद पुखराज (White Sapphire): शुक्रवार – तर्जनी अंगुली (Index finger)
  • पीला पुखराज (Yellow Sapphire): गुरुवार – तर्जनी अंगुली (Index finger)
  • लहसुनिया (Cat Eye): शनिवार – कनिष्ठिका अंगुली (Little finger)
  • गोमेद (Hessonite): शनिवार – मध्यमा या कनिष्ठिका अंगुली
  • माणिक्य (Ruby): रविवार – अनामिका अंगुली (Ring finger)
  • लाल मूंगा (Red Coral): मंगलवार – अनामिका अंगुली (Ring finger)