Geeta Jayanti 2022 Date: नवंबर ही नहीं दिसंबर में भी कई व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं। 3 दिसंबर शनिवार के दिन मोक्षदा एकादशी का व्रत पड़ रहा है। इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।

पौराणिक कथा और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान कृष्ण ने इस दिन कुरुक्षेत्र में गीता का ज्ञान दिया था। कहा जाता है कि इस एकादशी से मोह का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए इसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है।

मोक्षदा एकादशी 2022 पूजा विधि

मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान कृष्ण और भगवत गीता की पूजा की जाती है।

-सुबह उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें।
-भगवान कृष्ण की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें।
-धूप,दीप आदि विधि-विधान से पूजा करें।
-एकादशी के दूसरे दिन दान करें।

गीता जयंती व मोक्षदा एकादशी का महत्व

ज्योतिष शास्त्र व मान्यता के अनुसार इन दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं सभी पापों का भी नाश होता है। कुरुक्षेत्र में इस दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। भगवत गीता के ज्ञान से मनुष्य का अंधकार दूर होता है और उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है।

मोक्षदा एकादशी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक समय गोकुल में वैखानस नाम का राजा राज्य करता था। एक बार उसने स्वप्न देखा कि उसके पिता नर्क में संकट झेल रहे है और उसे बचाने के लिए बुला रहे हैं। ऐसा स्वप्न देखकर राजा बहुत की घबरा गया और ब्राह्णों को बुलाकर इस स्वप्न का कारण पूछा। ब्राह्णों ने राजा को पर्वत नाम के ऋषि के आश्रम जाकर अपने पिता के उद्धार का उपाय पूछने को कहा।

राजा ऋषि के आश्रम गए और उपाय पूछा। ऋषि ने कहा तुम्हारें पिता को अपने पूर्व जन्मों के कर्मों के कारण ने नर्क प्राप्त हुआ है। ऋषि ने राजा से कहा कि तुम मोक्षदा एकादशी का व्रत रहो और इसका फल अपने पिता को अर्पण करों। ऐसा करने से तुम्हारें पिता को इससे मुक्ति मिल जाएगी। राजा ने ऐसा ही किया और उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई।