Buddha Purnima 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था जिसे हिंदू धर्म के लोग बुद्ध पूर्णिमा के तौर पर मनाते हैं। हिन्दू धर्म में बुद्ध (Buddha) को श्री हरि विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। बता दें कि गौतम बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की नींव रखी थी, इसलिए ये दिन इस धर्म के लोगों के लिए भी बेहद खास है। यही वजह है कि भारत के अलावा, श्रीलंका, मलेशिया, नेपाल, इंडोनेशिया और कई दूसरे देशों में भी इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है।
साल 2021 में ये शुभ तिथि 26 मई को है। बता दें कि सनातन धर्म में वैशाख पूर्णिमा का भी खास महत्व होता है। मुनि नारद ने इस माह को सर्वोत्तम बताया है। ऐसे में इस दिन की अहमियत और बढ़ जाती है। आइए जानते हैं कि इस दिन किस तरह पूजा करनी चाहिए और क्या है शुभ मुहूर्त –
क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त: जानकारों के मुताबिक पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 25 मई की रात 8 बजकर 29 मिनट से होगी। वहीं, पूर्णिमा की समाप्ति 26 मई को शाम 4 बजकर 43 मिनट पर होगी।
जानें इस दिन का महत्व: वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, माना जाता है कि इसी दिन उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी। इस दिन को सिद्ध विनायक पूर्णिमा या सत्य विनायक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया गया स्नान समस्त पापों का नाश करता है। लेकिन कोरोना काल में आप घरों में पानी की बाल्टी में गंगाजल मिलाकर भी नहा सकते हैं।
धर्म विशेषज्ञ मानते हैं कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा स्वामी होते हैं, ऐसे में इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। इस दिन मृत्यु के देवता धर्मराज की पूजा करने की भी मान्यता है। कहते हैं कि सत्यविनायक व्रत से धर्मराज खुश होते हैं और उनके प्रसन्न होने से अकाल मौत का डर कम हो जाता है।
क्या है पूजा विधि: बुद्ध पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान कर भगवान के समक्ष व्रत करने का संकल्प लें। फिर वरुण देव को प्रणाम करें और सूर्य मंत्र का उच्चारण कर सूर्य देवता को अर्घ्य दें। उसके बाद भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए और उन्हें नैवेद्य चढ़ाएं। दान-दक्षिणा दें, साथ ही संभव हो तो भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करें। रात के समय चंद्रमा की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दें और भगवान को भोग लगाएं।