Ganga Snan During Periods: गंगा नदी को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। ऐसा माना जाता है कि गंगा में एक बार डुबकी लगाने से अनजाने पाप भी धुल जाते हैं और आत्मा को शुद्धि मिलती है। लेकिन शास्त्रों में गंगा स्नान को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं, जिन्हें जानना हर भक्त के लिए जरूरी है, खासकर महिलाओं के लिए। दरअसल, महिलाओं के लिए कुछ दिन ऐसे होते हैं जब उन्हें गंगा स्नान करने की मनाही होती है। कई बार ऐसा होता है कि महिलाएं किसी पवित्र स्थल या गंगा स्नान के लिए जा रही होती हैं तो उन्हें अचानक से मासिक धर्म आ जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए? तो चलिए जानते हैं कि किन परिस्थितियों में महिलाओं को गंगा स्नान नहीं करना चाहिए और पीरियड्स जैसे विशेष हालातों में क्या करना चाहिए।
पीरियड्स में गंगा स्नान करना सही है या नहीं?
शास्त्रों के अनुसार मासिक धर्म यानी पीरियड्स के दौरान महिलाओं को किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने की मनाही है। इस समय महिला का शरीर शुद्ध नहीं माना जाता, इसलिए गंगा जैसे पवित्र स्थान पर स्नान करना धार्मिक दृष्टिकोण से उचित नहीं माना गया है। साथ ही यह स्वास्थ्य के लिहाज से भी ठीक नहीं है क्योंकि नदी का पानी ठंडा होता है, जो इस दौरान शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दौरान महिलाएं मानसिक रूप से स्नान कर सकती हैं। यानी आंखें बंद कर श्रद्धा और विश्वास के साथ मन में गंगा स्नान की भावना करें। ऐसा करने से भी उन्हें आध्यात्मिक पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सूर्यास्त के बाद नहीं करना चाहिए स्नान
गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने का सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह 4 से 6 बजे के बीच का होता है। सूर्यास्त के बाद स्नान करना वर्जित माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि सूर्यास्त के बाद स्नान करने से देवता नाराज हो सकते हैं और इसका पुण्य फल नहीं मिलता है। यह नियम स्त्री और पुरुष दोनों के लिए होता है।
अकेले गंगा स्नान न करें विवाहित महिलाएं
शादीशुदा महिलाओं के लिए भी कुछ खास नियम बताए गए हैं। उन्हें अकेले गंगा स्नान नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि विवाहित महिलाओं को अपने पति के साथ ही गंगा स्नान करना चाहिए। यह दांपत्य जीवन में समृद्धि और सौभाग्य को बनाए रखने में सहायक माना जाता है।
गंगाजल का स्पर्श भी वर्जित
मासिक धर्म के दौरान न केवल गंगा स्नान वर्जित है, बल्कि घर में रखे गंगाजल का स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। गंगाजल को बेहद पवित्र माना जाता है और शुद्धता की स्थिति में ही इसका उपयोग करना चाहिए।
गर्भवती महिलाएं रखें विशेष ध्यान
शास्त्रों में यह भी उल्लेख मिलता है कि डिलीवरी के तुरंत बाद महिलाओं को कुछ समय तक गंगा स्नान करने से बचना चाहिए। शरीर पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद ही किसी भी पवित्र स्थान पर स्नान करना चाहिए। इसके अलावा गर्भावस्था के अंतिम तीन महीनों में भी गंगा स्नान नहीं करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान महिला का शरीर अत्यधिक संवेदनशील होता है और नदी में स्नान करने से जोखिम बढ़ सकता है।
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