गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को स्थापित किया जाता है। लोग अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार भगवान गणेश को स्थापित करते हैं। कोई 3 दिन, कोई 5 दिन, कोई 7 दिन और कोई 10 दिन के लिए भगवान गणेश को अपने घर लेकर आता है।
जिस प्रकार श्रद्धा-भक्ति और विधि विधान से भगवान गणेश की स्थापना की जाती है। ठीक उसी प्रकार भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है। गणेश विसर्जन भी विधि विधान के साथ किया जाता है। आमतौर पर भगवान गणेश का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है। गणेश जी के विसर्जन के लिए इस दिन को शुभ माना जाता है। इस साल गणेश विसर्जन 1 सितंबर, मंगलवार को किया जाएगा।
गणेश विसर्जन विधि/ विसर्जन विधि (Ganesh Visarjan Vidhi/ Visarjan Vidhi)
अनंत चतुर्दशी के दिन सवेरे उठकर स्नान आदि कर पवित्र हो जाएं। साफ वस्त्र पहनें। जिस प्रकार 10 दिन तक भगवान गणेश का पूजन किया है। ठीक उसी प्रकार पूजा करें। एक चौकी पर लाल, पीला या नारंगी वस्त्र बिछाएं। उस पर कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। स्वास्तिक पर चावल और फूल डालकर नमन करें। चौकी के कपड़े के चारों कोनों में सुपारी बांधें। स्थापित गणेश प्रतिमा को उठाकर चौकी पर बैठाएं।
भगवान गणेश के जयकारों के साथ उन्हें विसर्जन स्थल पर लेकर जाएं। विसर्जन स्थल पर पहुंचकर भगवान गणेश की प्रतिमा का एक बार फिर से पूजन करें। उन्हें कुमकुम का तिलक लगाएं। अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगते हुए दोबारा अगले साल लौट के आने की विनती करें। साथ ही यह कामना करें कि अगली गणेश चतुर्थी तक भगवान गणेश की कृपा उन पर बनी रहे और सब मंगल ही मंगल हो।
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan Ka Shubh Muhurat)
सुबह का मुहूर्त – 09:10 ए एम से 01:56 पी एम तक
दोपहर का मुहूर्त – 03:32 पी एम से सांय 05:07 पी एम तक
शाम का मुहूर्त – शाम 08:07 पी एम से 09:32 पी एम तक
रात का मुहूर्त- 10:56 पी एम से 03:10 ए एम तक