किसी भी शुभ काम या पूजा की शुरुआत भगवान गणेश को याद करके की जाती है। कोई भी पूजा-पाठ बिना गणपति जी की अराधना के अधूरा माना जाता है। अब बात अगर दिवाली पूजन की करें तो इस दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा का भी विधान है। लोग इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की घर लाई नई प्रतिमा की पूजा करते हैं। दिवाली पूजन की शुरुआत में सबसे पहले गणेश जी की आरती उतारी जाती है। इसके बाद विधि विधान पूजा करके अंत में देवी लक्ष्मी की आरती की जाती है। यहां आप जानेंगे भगवान गणेश जी आरती के बारे में।

Ganesh Ji Ki Aarti: यहां पढ़े श्री गणेश जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी

गणेश जी की आरती (Ganesh Aarti):

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी॥

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

दिवाली पूजा शुभ मुहूर्त:
अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 04 नवम्बर 2021 को 06:03 AM बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – 05 नवम्बर 2021 को 02:44 AM बजे
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 06:09 PM से 08:04 PM
अवधि – 01 घण्टा 56 मिनट्स
प्रदोष काल – 05:34 PM से 08:10 PM
वृषभ काल – 06:09 PM से 08:04 PM

दिवाली से जुड़ी कथाएं: कार्तिक अमावस्या यानी दिवाली के दिन भगवान श्री राम चंद्र जी चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे। इस दिन भगवान श्री राम जी के अयोध्या आगमन की खुशी में लोगों ने दीप जलाकर उत्सव मनाया था। माना जाता है तभी से दिवाली पर्व की शुरुआत हुई। एक अन्य कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसी खुशी में दूसरे दिन यानि कार्तिक मास की अमावस्या को लोगों ने अपने घरों में दीये जलाए थे। कहते हैं तभी से नरक चतुर्दशी और दीपावली का त्यौहार मनाया जाने लगा।